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    अमेरिका ने अब भारत की रूसी हथियारों पर से निर्भरता को कम करने के लिए कमर कस ली

    Tarun PathBy Tarun PathMay 18, 2022Updated:May 24, 2022No Comments3 Mins Read
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    वॉशिंगटन/मास्‍को: यूक्रेन की सेना को अरबों डॉलर के हथियार देकर रूस की सेना में त‍बाही मचाने अमेरिका की नजर अब व्‍लादिमीर पुतिन के दोस्‍तों पर भी हो गई है। अमेरिका भारत के लिए एक सैन्‍य सहायता पैकेज तैयार कर रहा है ताकि नई दिल्‍ली के साथ रक्षा संबंधों को और ज्‍यादा मजबूत किया जा सके। साथ ही भारत की रूसी हथियारों पर निर्भरता को कम किया जा सके। बताया जा रहा है कि अमेरिकी हथियारों का यह पूरा पैकेज 50 करोड़ डॉलर का हो सकता है।

    समाचार एजेंसी ब्‍लूमबर्ग ने इस पूरे मामले से जुड़े एक व्‍यक्ति के हवाले से कहा कि 50 करोड़ डॉलर की सैन्‍य सहायता के बाद इजरायल और मिस्र के बाद भारत इस तरह की सहायता पाने वाला तीसरा बड़ा देश बन जाएगा। यह अभी स्‍पष्‍ट नहीं है कि समझौते की घोषणा कब होगी या कौन-कौन से हथियारों को शामिल किया जाएगा। एक वरिष्‍ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि अमेरिका का यह कदम राष्‍ट्रपति जो बाइडन की ओर से भारत को लंबी अवधि के लिए सुरक्षा सहयोगी बनाने के प्रयासों का हिस्‍सा है।
    अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत ने यूक्रेन युद्ध में रूस की आलोचना नहीं की है, इसके बाद भी ये अमेरिकी हथियार उसे दिए जाएंगे। अमेरिका की कोशिश है कि वह भारत का हर क्षेत्र में एक विश्‍वसनीय सहयोगी देश बने। बाइडन प्रशासन के इसके अलावा अन्‍य देशों जैसे फ्रांस के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि पीएम मोदी की सरकार को वह प्रत्‍येक हथियार मिले जिसकी उन्‍हें जरूरत है। अधिकारी ने कहा कि भारत ने पहले ही रूस पर से अपने हथियारों की निर्भरता को कम करने के लिए पहले ही प्रयास तेज कर दिया है और बाइडन प्रशासन इसे और तेज करना चाहता है।

    बाइडन प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि भारत को किस तरह से बड़े हथियार जैसे फाइटर जेट, नौसैनिक युद्धपोत और युद्धक टैंक मुहैया कराए जाएं। अमेरिकी प्रशासन इन क्षेत्रों में भी बड़ी सफलता हासिल करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका की 50 करोड़ डॉलर की हथियारों की सहायता एक तरह से सहायता करने का प्रतीकात्‍मक संकेत है। भारत के विदेश मंत्रालय ने अभी इस पर कोई कॉमेंट करने से इंकार कर दिया है।
    भारत रूसी हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार है। हालांकि अब भारत रूस पर हथियारों की निर्भरता को कम कर रहा है। भारत ने अभी हाल ही में रूस के साथ कमोव हेलिकॉप्‍टर सौदे को रद कर दिया है। पिछले एक दशक में भारत ने अमेरिका से 4 अरब डॉलर के हथियार खरीदे हैं, वहीं रूस से 25 अरब डॉलर का सौदा हुआ है। व‍िश्‍लेषक मानते हैं कि चीन और पाकिस्‍तान से निपटने के लिए भारत की रूसी हथियारों पर निर्भरता के कारण ही मोदी सरकार ने यूक्रेन पर रूस की आलोचना से परहेज किया। अमेरिका की सरकार इसको लेकर पहले भारत से काफी नाराज हुई थी लेकिन अब उन्‍हें भारत के संकट का अहसास हो गया है। यही नहीं चीन से निपटने के लिए अब खुलकर अमेरिका भारत का साथ दे रहा है।

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