प्रौढ़ साक्षरता प्रवेशिका निर्माण के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ
रायपुर, 11 अगस्त 2021संचालक राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) श्री डी. राहुल वेंकट ने आज प्रवेशिका निर्माण हेतु आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला के प्रारंभिक सत्र में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति और न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम को ध्यान में रखकर प्रवेशिका का निर्माण किया जाना है। श्री वेंकट ने इस बात पर जोर दिया कि प्रवेशिका अत्यंत सरल हो, उसमें कविता आदि के माध्यम का उपयोग किया जाए। छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परिवेश के अनुसार प्रवेशिका का निर्माण हो और वह पठनीय होने के साथ बुनियादी साक्षरता और गणितीय कौशल को सरल शब्दों में अलग-अलग तरीके से बताया जाए, ताकि सामान्य तरीके से इसे सीखा जा सके और दैनिक जीवन में आने वाली आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके।एससीईआरटी के संचालक श्री डी. राहुल वेंकट ने कार्यशाला में प्रतिभागियों से प्रवेशिका निर्माण के लिए चर्चा कर सुझाव मांगा कि दस साल पहले और अब के असाक्षरों को क्या चाहिए, प्रौढ़ साक्षरता के रणनीति में क्या बदलाव किया जा सकता है। प्रौढ़ को जो पढ़ा रहे हैं, वह उनके दैनिक जीवन में उपयोगी हो। जैसे- उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी और बैंक डिपोजिट एवं विड्राल स्लीप भरना आना चाहिए। उन्होंने बताया कि नई प्रवेशिका का निर्माण प्रौढ़ शिक्षार्थियों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर करना है। प्रौढ़ों की आवश्यकता का आंकलन करने के लिए नीड एसेसमेंट फॉर एडल्ट के नाम से एक सर्वे कराया गया था, जिसमें इनकी आवश्यकताओं का आंकलन किया गया है, इसका भी समावेश प्रवेशिका में किया जाए। एससीईआरटी के अतिरिक्त संचालक डॉ. योगेश शिवहरे ने कहा कि प्रौढ़ साक्षरता के लिए एससीईआरटी में राज्य साक्षरता केन्द्र प्रकोष्ठ द्वारा पहला वर्कशाप आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रौढ़ साक्षरता के लिए 13 लर्निंग आउटकम के आधार पर काम करके संदर्शिका का निर्माण करना है। प्रवेशिका का निर्माण पिछले अनुभवों को दरकिनार किया जाए जिससे राज्य के प्रौढ़ असाक्षर उसका प्रायोगिक कार्य कर उपयोग कर सके। कार्यशाला के प्रथम दिवस प्रतिभागियों में समझ विकसित करने के लिए एसएलएमए के सहायक संचालक श्री प्रशांत कुमार पांडे ने कार्यक्रम का परिचय और साक्षरता क्या है? साक्षरता क्यों जरूरी है, श्री सत्यराज अय्यर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रौढ़ शिक्षा और नवाचारी गतिविधियों का प्रयोग, श्री सुनील मिश्रा ने बाल मनोविज्ञान और मनोविज्ञान में अंतर, श्री विकास भदौरिया ने सर्वे रिपोर्ट का विश्लेषण व डॉ. मनीष वत्स ने प्रवेशिका निर्माण की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत चर्चा की। कार्यशाला को एससीईआरटी की श्रीमती प्रीति सिंह और श्री के.के. सोनी ने भी संबोधित किया।कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के चयनित लेखकों ने एससीईआरटी के राज्य साक्षरता केन्द्र प्रकोष्ठ और राज्य साक्षरता प्राधिकरण मिशन द्वारा कार्यशाला का शुभारंभ परंपरा से हटकर प्रतिभागियों की ओर से श्रीमती ज्योति चक्रवर्ती और श्रीमती पूर्णेश डडसेना दीप प्रज्जवलित कर किया।