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आदिवासियों को जमीनी हक दिलाने का किया जा रहा है लगातार प्रयास: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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वनांचल में दिए जा रहे व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार

आदिवासियों के विरुद्ध दर्ज 1242 प्रकरण वापस

सिरहा, बैगा, गुनिया को प्रतिवर्ष 7 हजार रूपए सम्मान राशि

‘‘बस्तर अकादमी ऑफ डांस आर्ट एंड लिट्रेचर’’ के संचालन में समाज प्रमुखों की सक्रिय भूमिका

आदिवासियों के हित में उठाए जा रहे कदम की सराहना करते हुए समाज प्रमुखों ने मुख्यमंत्री के प्रति जताया आभार

मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज के प्रमुखों से आदिवासी वर्ग हेतु संचालित योजनाओं एवं भविष्य की रणनीति पर की चर्चा

रायपुर । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर प्रवास के दौरान रविवार को आदिवासी समाज के प्रमुखों से आदिवासी वर्ग हेतु संचालित योजनाओं एवं भविष्य के रणनीति पर सार्थक चर्चा की। मुख्यमंत्री द्वारा आदिवासी वर्ग के समाज प्रमुखों से उनके समाज के कल्याण से जुड़ी समस्याओं को स्थानीय अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि को अवगत कराने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अधिकारियों को प्राथमिकता एवं गंभीरता के साथ समस्या के निराकरण करने हेतु निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि स्थानीय आदिवासी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन कार्य हेतु ग्राम आसना में स्थापित किये गये ‘‘बस्तर अकादमी ऑफ डांस आर्ट एंड लिट्रेचर’’ के संचालन में समाज प्रमुखों की सक्रिय भूमिका रही है। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा आदिवासी वर्ग के कल्याण हेतु निरंतर प्रयास किये जा रहे है। इसी कड़ी में आदिवासियों के विरुद्ध दर्ज 1242 प्रकरणों को वापस किया गया है।
आदिवासियों को जमीनी हक दिलाने हेतु 4 लाख 45 हजार 865 हितग्राहियों को व्यक्तिगत वनअधिकार पत्र, 45 हजार 764 सामुदायिक वन अधिकार पत्र तथा 3 हजार 528 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त पूर्व में निरस्त किये गये व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र के आवेदनों को पुनर्विचार में लेते हुए पात्र पाये गये 31 हजार 243 हितग्राहियों को व्यक्तिगत वनअधिकार पत्र प्रदाय किया गया है। व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र प्राप्त हितग्राहियों में से 2 लाख 41 हजार 274 हितग्राहियों को शासन द्वारा निर्धारित किसान सम्मान निधि प्राप्त हुई है।
शासन द्वारा स्वरोजगार की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। बस्तर संभाग के आदिवासी महिलाओं द्वारा शासन की योजनाओं से लाभ प्राप्त कर स्वावलंबी बनने की ओर अग्रसर है। जिला-बस्तर के दरभा विकासखंड में महिलाओं के द्वारा पपीता एवं कॉफी उत्पादन, दंतेवाड़ा जिले में डेनेक्स के माध्यम से कपड़ा उत्पादन एवं कोंडागांव जिले में उत्पादित किये जा रहे तिखुर शेक की देश-विदेश के बाजारों में लगातार मांग इसका उदाहरण है।
बस्तर संभाग की परंपरागत संस्कृति का अहम हिस्सा देवगुड़ी के संधारण हेतु प्रतिवर्ष प्रदाय किये जाने वाली राशि को एक लाख रूपए से बढ़ाकर 5 लाख रूपए किया गया एवं घोटुल का निर्माण करवाया जा रहा है। सामाजिक संरचना के अंग सिरहा, बैगा, गुनिया को राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजान्तर्गत शामिल करते हुए अनिवार्यतः प्रतिवर्ष 7 हजार रूपए सम्मान राशि प्रदाय करने की घोषणा की गयी है।
राजस्व संबंधी मामलों के निराकरण एवं सुविधा के दृष्टि से नवीन राजस्व अनुविभाग कार्यालय एवं तहसील गठन करने का निर्णय लिया गया है, इससे प्रशासन की आम जनता तक सीधे पहुंच बढ़ेगी। नवीन अनुविभाग एवं तहसील गठन में बस्तर संभाग में 01 अनुभाग तथा 06 तहसील शामिल है। नामांतरण जैसे मूलभूत राजस्व कार्य हेतु ई-पोर्टल बनाया गया, जिससे त्वरित रूप से सरलता से नामांतरण कार्य संपन्न हो सकेगा।
आदिवासी समाज के प्रमुखों द्वारा आदिवासी वर्ग के उत्थान एवं कल्याण हेतु शासन द्वारा किये जा रहे प्रयासों हेतु मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया गया तथा बस्तर संभाग में कानून व्यवस्था कायम रखते हुए समाज प्रमुखों द्वारा आवश्यक सहयोग प्रदाय करने की सहमति दी गयी ताकि क्षेत्र में शांति एवं सौहार्द का वातावरण बना रहे।