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भले ही आठ सालों से चल रहा है मोदी मैजिक, लेकिन फोकस हर व्यक्ति तक कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाने पर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 2014 लोकसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज कराते हुए जब केंद्र में सरकार बनाई थी तब भाजपा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान समेत सिर्फ 7 राज्यों में ही सत्ता में थी मगर आज 18 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. यह आंकड़ा 2014 के मुकाबले ढाई गुना से भी ज्यादा है. 2018 में तो ये आंकड़ा 21 राज्यों तक पहुंच गया था, ये कहना भी गलत नहीं होगा कि देश की 72 प्रतिशत आबादी भाजपा शासित राज्यों में निवास कर रही थी. इससे समझा जा सकता है कि एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर, किसान आंदोलन, सीएए विरोध आंदोलन जैसे मसलों के बीच भी किस तरह से भाजपा ने उत्तर भारत से लेकर दक्षिण और पूर्वोत्तर तक में अपना विस्तार किया है.

केंद्र की मोदी सरकार को सत्ता में आए हुए 8 साल हो गए हैं. इस दौरान मोदी सरकार ने चुनाव के वक्त जनता से किए गए कई वायदों को पूरा किया है तो कई पर विवादों का भी सामना करना पड़ा है. इस बीच काफी लंबी यात्रा करनी पड़ी. इन आठ सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निर्विवाद रूप से देश के सबसे बड़े और लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं.

लोगों का विश्वास बनाए रखना कठिन

पिछले हफ्ते जयपुर में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस सफलता का जिक्र किया था और पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को इसका श्रेय देते हुए बधाई दी थी कि यह सफलता सबके लिए कितनी अहम है. लोगों के विश्वास को बनाए रखना काफी कठिन काम है.

प्रधानमंत्री मोदी ने सभी से अपील भी की थी कि भले ही आज देश में भाजपा के 400 से ज्यादा सांसद हैं और 1300 से ज्यादा विधायक हैं, 18 राज्यों में भाजपा की सरकार है, लेकिन अभी पार्टी का स्वर्णिम काल बाकी है. थकना नहीं है, रुकना नहीं है.

उप्र में सत्ता में वापसी से जोश हाई

भारतीय जनता पार्टी केंद्र में मोदी सरकार के 8 वर्ष के कार्यकाल को काफी भव्य तरीके से मना रही है. दो साल कोविड के चलते पार्टी ने कोई कार्यक्रम नहीं किया था मगर इस बार चार राज्यों की जीत खासतौर से उत्तर प्रदेश में सत्ता में दोबारा वापसी से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं दोनों का जोश हाई है. हालांकि इन कार्यक्रमों के आयोजनों के बीच ही भाजपा 2024 की तैयारियों में भी जुट गई है. कमजोर बूथ को मजबूत करने की रणनीति से लेकर जिन सीटों पर पिछली बार हार हुई थी उन पर भी खास फोकस रखा जा रहा है.मिशन-144 इसी तैयारी का हिस्सा है जिसमें हर एक मंत्री को तीन संसदीय क्षेत्र पर ध्यान देना होगा.