राम सबके हैं, निषादराज के हैं, शबरी के हैं, सब उनमें आत्मीयता महसूस करते हैं।
भगवान राम साकार भी हैं, निराकार भी हैं। राम को मानने वाले उन्हें दोनों स्वरूपों में मानते हैं।
हमारी सुबह राम से होती है, शाम रामायण से।
हमारा प्रदेश कौशल्या माता का प्रदेश है। कहाँ भगवान राम का राजतिलक होना था लेकिन वे वनवास गए। निषादराज से मिले, शबरी से मिले। ऋषि मुनियों से मिले।
कितनी कठिनाई झेली पर अपनी मर्यादा नहीं खोई। उन्होंने वनवास का 10 साल यहां गुजारा।
छत्तीसगढ़ में उन्होंने इतने बरस गुजारे। हमारा रिश्ता वनवासी राम के साथ कौशल्या के राम से भी है इसलिए वे हमारे भांजे हैं, इसलिए हम भांजों का पैर छूते हैं।
छत्तीसगढ़ का कुछ न कुछ अंश भगवान राम के चरित्र में देखने को मिलता है।
हमारा रिश्ता राम से केवल वनवासी राम का नहीं है। बल्कि हमारा रिश्ता शबरी के राम, कौशल्या के राम के रूप में भी है।