दिल्लीवालों पर पहले आई फ्लू का खतरा मंडरा रहा था और उससे अभी बाहर ही निकले थे कि अब बुखार का ट्रिपल अटैक एक नया खतरा बनकर सामने आ गया है. यह खतरा तीन अलग-अलग तरीके के बुखार का है. जिसमें एक तो वायरल फीवर है तो दूसरा डेंगू का बुखार है और तीसरा बुखारा टायफाइड है जो सबसे सीरियस बुखार है.
इन तीनों बुखार के क्या लक्षण हैं और इनसे बचाव के क्या उपाय –
दिल्ली में आने वाले आधे से ज्यादा पेशेंट बुखार संबंधित समस्याओं को लेकर पहुंच रहे है. तीन तरह के बुखार के मरीज सबसे ज्यादा हैं.
पहला है वायरल फीवर जो कि दो से दिन तक रहता है और ज़्यादातर मामलों में खुद ही ठीक हो जाता है. डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि इस बुखार में आम तौर पर पैरासिटामोल टैबलेट की मदद से ही ठीक हो जाता है.
इस वायरल फीवर में मरीज को अस्पताल में भर्ती होने तक की जरूरत नहीं पड़ती है. यह बाकी वायरल इंफेक्शन की तरह ही है और ऐसे में इसको लेकर को कोविड बिहेवियर को पालन करना चाहिए, यानी लोगों से दूरी रखो, खांसते हुए मुंह ढकना जैसी चीजें.
इन दिनों दूसरा बुखार जो बेहद सामान्य है. यह डेंगू का बुखार है. इस बुखार को भी सामान्यत पैरासिटामोल ही ठीक कर देती है.
अगर डेंगू फीवर में आपके शरीर में लाल रंग के निशान या चक्के बने हुए हैं या अन्य कोई लक्षण जैसे उल्टी या ब्लड प्रेशर कम है तो आपको तुरंत प्लेटलेट काउंट टेस्ट कराना चाहिए.
अगर टेस्ट में प्लेटलेट काउंट एक लाख से नीचे है तो तुरंत अस्पताल में जाना चाहिए. अगर आप किसी और लंबी बीमारी से ग्रसित नहीं है तो ज्यादातर मामलों में खुद ही ठीक हो जाते हैं. बस ब्लड के प्लेटलेट काउंट पर नजर रखनी चाहिए.
डेंगू के बुखार में सामान्य तौर तीन से 5 दिन में बुखार ठीक हो जाता है लेकिन ब्लड प्लेटलेट्स इसके बाद गिरने शुरू होते हैं तो इसका खास ध्यान रखना है.
टायफाइड एक सीरियस बीमारी है. इसमें किसी तरीके के लाल निशान शरीर पर नहीं बनते हैं और इसमें आप लंबा बीमार रहते हैं.
इसमें टायफाइड में 1 से 2 हफ़्ते तक तेज बुखार हो सकता है और यह मुख्य तौर पर हाइजीन को अनदेखा करने की वजह से होता है.
टायफाइड खासतौर पर बारिश के बाद ठेले या बाहर किसी दुकान पर खाना खाने से होता है. इसलिए कोशिश करें की बाहर से खाना न खाएं. अगर आप किसी रेस्तरां में खाना खाने जा रहे हैं और उसके वेटर को भी टायफाइड है तो उससे आपको आसानी से यह बुखार हो सकता है.