धरती के दो दोस्त अब बहुत जल्द आसमान में एक-दूसरे के पड़ोसी बनने वाले हैं. अगर सबकुछ सही रहा तो भारत और रूस चांद पर एक-दूसरे के पड़ोसी होंगे. जी हां, एक ओर जहां भारत का चंद्रयान-3 चांद पर कदम रखने से महज कुछ कदम की दूरी पर है, वहीं रूस ने भी 47 साल बाद अपने मून मिशन को लॉन्च किया है और करीब-करीब भारत के चंद्रयान-3 के साथ ही रूस का लूना-25 भी चांद पर कदम रख सकता है.
दरअसल, भारत द्वारा लॉन्च किए गए मून मिशन चंद्रयान 3 के करीब एक महीने बाद यानी आज शुक्रवार को रूस ने अपना मून मिशन लूना-25 को लॉन्च किया है. बताया जा रहा है कि भारत का चंद्रयान-3 और रूस का लूना-25 दोनों ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर करीब-करीब एक ही समय में या फिर थोड़ा बहुत आगे-पीछे लैंड करेंगे. हालांकि, कौन पहले चांद पर कदम रखेगा, इस बारे में स्पष्टता नहीं आई है. एक तरफ जहां कई देश इसे एक कंपटीशन की तरह देख रहे हैं. वहीं रूसी स्पेस एजेंसी ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका किसी से कोई प्रतियोगिता नहीं है. तो चलिए 10 प्वाइंट में जानते हैं भारत के मिशन चंद्रयान-3 और रूस के मिशन मून लूना-25 के बारे में सबकुछ.
शुक्रवार 11 अगस्त सुबह 4 बजकर 40 मिनट पर रूस के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लूना-25 लैंडर की लॉन्चिंग की गई. वहीं भारत के इसरो ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई को की थी.
रूस की लूना-25 का लैंडर चांद के दक्षिणी पोल पर उतरेगा. वहीं चंद्रयान-3 को भी चांद के दक्षिणी पोल पर उतारने का लक्ष्य तय किया गया है. साल 2018 में नासा ने कहा था कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी है. लूना-25 में रोवर और लैंडर है. इसका लैंडर करीब 800 किलो का है.
उम्मीद जताई जा रही है कि 21 या 22 अगस्त को रूस का लूना-25 चांद पर लैंड कर जाएगा. वहीं भारत का चंद्रयान-3 23 अगस्त को लैंड करेगा. लूना-25 और चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने का समय करीब-करीब एक ही होगा. लूना कुछ घंटे पहले चांद की सतह पर लैंड कर सकता है.
बता दें कि इससे पहले रूस ने करीब 47 साल पहले यानी कि 1976 में चांद पर लूना-24 उतारा था. वहीं भारत लगातार तीसरी बार चांद पर लैंडिंग की कोशिश कर रहा है. चंद्रयान-3 से पूर्व चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था. हालांकि ये मिशन विफल रहा था.
बता दें कि विश्व में अबतक जितने भी चांद मिशन हुए हैं, वे चांद के इक्वेटर पर पहुंचे हैं. लेकिन अगर लूना-25 या चंद्रयान-3 सफल हुआ तो ऐसा पहली बार होगा कि कोई देश चांद के साउथ पोल पर लैंड करें.
लूना-25 सॉफ्ट लैंडिंग की प्रैक्टिस करेगा. लैंडर में एक खास यंत्र है, जो सतह की 6 इंच की खुदाई करेगा. लूना-25 पत्थर और मिट्टी के सैंपल जमा करेगा. इससे जमे हुए पानी की खोज हो सकती है. रूस का मकसद है कि भविष्य में जब भी इंसान चांद पर अपना बेस बनाए तो उसके लिए पानी की समस्या न हो.
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस को लूना-25 की लॉन्चिंग पर बधाई दी है. बता दें कि रोस्कोस्मोस ने ने कहा कि हम किसी देश या स्पेस एजेंसी के साथ प्रतियोगिता नहीं कर रहे हैं. हमारे लैंडिंग भी अलग हैं. भारत या किसी और देश के मून मिशन से हमारी न तो टक्कर होगी, न हम किसी के रास्ते में आएंगे.
बता दें कि लूना-25 मिशन की शुरुआत 1990 में हुई थी. लेकिन यह अब जाकर पूरा होने वाला है. रूस ने इस मिशन के लिए जापानी स्पेस एजेंसी को साथ लाने की कोशिश की थी. लेकिन जापान ने मना कर दिया था. फिर उसने इसरो से मदद करने की अपील की थी. लेकिन बात बनी नहीं. इसके बाद रूस ने खुद हो रोबोटिक लैंडर बनाने की योजना बनाई.
बता दें कि लूना-25 को रूसी स्पेस एजेंसी पहले साल 2021 के अक्टूबर महीने में लॉन्च करना चाहती थी. लेकिन इसमें करीब दो साल की देरी हुई है. लूना-25 के साथ यूरोपियन स्पेस एजेंसी पायलट-डी नेविगेशन कैमरा की टेस्टिंग करना चाहता था. लेकिन यूक्रेन पर हमला करने के चलते दोनों स्पेस एजेंसियों ने नाता तोड़ लिया था.
लूना में सोयूज-2.1 बी/फ्रिगेट रॉकेट का इस्तेमाल किया गया था. लॉन्च के समय पास का एक पूरा गांव खाली कराया गया. वहां के लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया था. क्योंकि रॉकेट का निचला हिस्सा उस स्थान पर गिर सकता था.