सिर्फ इस्लामिक स्टेट (आईएस या आईएसआईएस) ही नहीं, दो अन्य आतंकी संगठन – स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) – भी हाल के पुणे मामले में शामिल थे, जो यह इशारा करता है कि ये सभी एक ही छत के नीचे फिर से संगठित हो रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने यह जानकारी दी.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 3 जुलाई को चार आरोपियों – एक मुंबई से, एक पुणे से और दो ठाणे से – को गिरफ्तार किया था. इसके बाद पुणे आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने 18 जुलाई को दो और लोगों को गिरफ्तार किया, जो इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) के लिए काम कर रहे थे जो एसयूएफए की शाखा है और कोथरुड से एनआईए मामले में वांछित थे.
सूत्रों के मुताबिक, हज़ारीबाग़, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के मामलों के बीच सीधा संबंध सामने आ रहा है. उन्होंने कहा, ‘वे सभी मामले साकिब नचान की ओर ले जाते हैं, जिन्होंने 2002-03 में मुंबई में हुए तिहरे विस्फोटों में अपनी भूमिका के लिए 10 साल की सजा काटी थी.’
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपी शाहनवाज आलम अब तक की आतंकी योजना में मुख्य खिलाड़ी है. उन्होंने कहा, ‘सभी पुराने आतंकी संगठन जो गतिविधियों के मामले में लगभग ख़त्म हो चुके थे, उन्हें फिर से सक्रिय कर दिया गया है. उन्होंने सब कुछ चतुराई से किया है और खुद को एजेंसियों से बचाया है. यह अच्छा है कि वे पकड़े गए, अन्यथा उनकी योजनाएं घातक थीं.’
सुरक्षा एजेंसी के सूत्रों की तरफ से किए गए प्रमुख खुलासे
* वे सभी आईटी, साइबर, विस्फोटक और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) में प्रशिक्षित कट्टर, उच्च श्रेणी के कट्टरपंथी हैं.
* एकजुट हुए आतंकी संगठनों के बीच वैचारिक मतभेद थे, लेकिन उन्होंने फिर से काम शुरू करने का फैसला किया. सिमी और आईएम की भूमिका साफ नजर आ रही है.
* उनके पास इराक या सीरिया से एक विदेशी हैंडलर है.
* पुणे मामले में सभी को अलग-अलग समय पर फंडिंग मिली, जो आईएसआईएस की शैली से अलग है। साजिश को अंजाम देने में लेगे लोगों को नियमित विदेशी फंडिंग मिल रही है.
सूत्रों का कहना है कि पिछले साल मंगलुरु ऑटो विस्फोट और चित्तौड़गढ़ से विस्फोटकों की बरामदगी से विदेशी आकाओं की मौजूदगी का साफ पता चलता है. उन्होंने कहा कि 2016 के रतलाम आईएसआईएस मामले के साथ-साथ इन दोनों मामलों के आरोपी और पुराने सिमी कट्टरपंथी आपस में जुड़े हुए हैं.
उन्होंने कहा, ‘बहुत सारे कट्टरपंथी भी दौड़ में हैं. यहां तक कि जिन लोगों को पूछताछ के बाद एजेंसियों ने छोड़ दिया या उन्हें इसमें शामिल नहीं पाया गया, वे भी समूह में शामिल हो गए. इनमें से कई आतंकी ऐसे हैं जो आतंकवादी मामलों में जमानत पर बाहर हैं. वे सभी जिहादी हैं और कुछ बड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं.’