घर या गाड़ी खरीदने या फिर बच्चों की हायर एजुकेशन जैसे बड़े खर्चों से डील करने के लिए लोन लेना एक सही ऑप्शन होता है. हालांकि, लोन के साथ आता है कई सालों तक किस्तें भरने का सिरदर्द और उसके ऊपर लगने वाला इंटरेस्ट. सैलरी का एक बड़ा हिस्सा उन किस्तों को चुकाने में निकल जाता है.
इसके चलते कई लोग जल्द से जल्द लोन चुकाने के बारे में सोचते हैं. ताकि हर साल लग रहे इंटरेस्ट से राहत मिल सके. जिस तरह EMI चूकने पर पेनाल्टी देनी पड़ती है, उसी तरह लोन जल्दी चुकाने पर भी पेनाल्टी देनी पड़ती है और कई बार ये पेनाल्टी लोन पर लगने वाले इंटरेस्ट के बराबर या उससे ज्यादा भी हो जाती है.
क्या होती है प्रीपेमेंट पेनाल्टी?
जब भी कोई लोन अप्रूव होता है तो उसके साथ ही तय किया जाता है कि लोन कितने समय के लिए दिया जा रहा है और उस पर कितनी EMI लेनदार को चुकानी होगी. लोन जितने समय के लिए तय होता है, उसी हिसाब से टेंटेटिव इंटरेस्ट भी जुड़ता है कि लोन के ऊपर इतना इंटरेस्ट चुकाना होगा.
जब आप जल्दी लोन चुकाते हैं, तो बैंक या लोन देने वाली अथॉरिटी को उतना इंटरेस्ट नहीं मिलता जितने की उन्होंने उम्मीद की होती है. इसे कवर करने के लिए वो प्रीपेमेंट पेनाल्टी लगाते हैं. ताकि लोन के एवज में उन्हें पर्याप्त रिटर्न मिल सके. हालांकि, ये पेनाल्टी सभी लेंडर्स नहीं लगाते हैं.
इस पेनाल्टी के बारे में लोन की शर्तों में लिखा होता है. कोई लेंडर फिक्स्ड पेनाल्टी चार्ज करता है तो कोई परसेंट के आधार पर. इसलिए लोन के डॉक्यूमेंट्स पर साइन करने से पहले उसके नियम और शर्त पढ़कर ये समझ लें कि जल्दी चुकाने पर क्या होगा या थोड़ा डिले हुआ तो कितनी पेनाल्टी लगेगी.
कैसे कैल्कुलेट करें कि लोन जल्दी चुकाना सही है या नहीं?
अगर आपके लोन की शर्तों में प्रीपेमेंट पेनाल्टी का जिक्र नहीं है तब तो लोन जल्दी चुकाने में कोई खतरा नहीं है. आप लोन जल्दी चुका लेंगे, तो उस पर हर साल लगने वाले इंटरेस्ट से आपको छुटकारा मिल जाएगा और आपको कोई फाइन भी नहीं चुकाना होगा. अगर प्रीपेमेंट पेनाल्टी है, तो पहले ये कैल्कुलेट कीजिए कि कितने पहले लोन चुकाने पर कितनी पेनाल्टी लगेगी. इसके बाद कैलकुलेट कीजिए कि बचे हुए लोन पर आपको कितना इंटरेस्ट चुकाना पड़ सकता है. अब इंटरेस्ट से पेनाल्टी को घटा दें. उत्तर आएगा उतनी बचत आप जल्दी लोन चुकाकर कर पाएंगे. पर इसमें वैल्यू नेगेटिव में भी आ सकता है और दोनों बराबर भी हो सकते हैं. इस उत्तर के आधार पर ही फैसला लेना है.
अगर इंटरेस्ट में अच्छी बचत हो रही हो तो आप लोन जल्दी चुकाने का फैसला कर सकते हैं. वहीं वैल्यू निगेटिव आने का मतलब है कि जल्दी लोन चुकाने में आपको नुकसान होगा, यानी लोन को उसकी पहले से तय अवधि पर ही चुकाना सही होगा.