भारत सरकार के नियमों के अनुसार, ऐसी कोई भी कंपनी जहां कर्मचारियों की संख्या 20 या उससे अधिक है वहां नियोक्ता को कर्मचारियों के पीएफ खाते में योगदान करना होगा. अगर कर्मचारी का पीएफ खाता नहीं है तो उसे खुलवाकर फिर उसमें पैसा डालना होगा. कर्मचारी के पीएफ खाते में वह खुद बेसिक सैलरी का कम-से-कम 12 फीसदी निवेश करता है और इतनी ही रकम फिर नियोक्ता को भी खाते में डालनी होती है. हालांकि, कई बार कंपनियां इसमें धांधलेबाजी कर देती हैं.
कर्मचारी ये मानकर बैठे होते हैं कि उनके पीएफ खाते में पैसे जा रहे होंगे लेकिन ऐसा नहीं होता है. हाल ही में स्पाइसजेट के पायलटों ने इसकी शिकायत की थी. यह पहला मामला नहीं है जब ऐसी खबर सामने आई हो. यह सब पहले भी सुनने में आता रहा है. सरकार ने अपनी ओर से इस समस्या से निपटने के लिए इनकम टैक्स कानून में संशोधन भी किया था. नए नियम के अनुसार, अगर कंपनियां समय पर पीएफ खाते में अंशदान नहीं करती हैं तो वह टैक्स में छूट के लिए दावा नहीं कर सकेंगी. हालांकि, कर्मचारियों को खुद भी इस मामले में सतर्क रहना चाहिए और यह देखते रहना चाहिए कि उनके अकाउंट में नियोक्ता ने अंशदान किया या नहीं.
कैसे चेक करें
आप खुद देख सकते हैं कि नियोक्ता ने आपके पीएफ अकाउंट में पैसा डाला है या नहीं. इसके लिए आप EPFO के पोर्टल या फिर उमंग ऐप पर जा सकते हैं. आप इन दोनों जगहों पर अपनी पीएफ की पासबुक को चेक कर सकते हैं. आपको ईपीएफओ पोर्टल पर जाकर खुद को रजिस्टर करके अपनी आईडी पासवर्ड जेनरेट करना होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद आप अपने अकाउंट में लॉगिन कर आसानी से पासबुक देख सकेंगे. हालांकि, इसके लिए आपको अपना UAN एक्टिवेट कराना होगा. आप उमंग ऐप के जरिए भी यह काम कर सकते हैं.