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क्या है G20, जिसकी मेजबानी कर रहा भारत, कौन सदस्य, कैसे करता है काम और क्‍या है मकसद

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जी20 देशों की बैठक आठ से 10 सितंबर के बीच दिल्‍ली में होने जा रही है. यह पहला मौका है जब भारत में इतने बड़े अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का आयोजन हो रहा है. जी20 बैठक में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, जापान सहित तमाम बड़े देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष शामिल होंगे. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ये जी20 है क्‍या? इसका आयोजन क्‍यों किया जाता है? भारत को जी20 के आयोजन से क्‍या फायदा होगा.

जी20 समिट दुनिया के 20 देशों द्वारा मिलकर बनाया गया एक शक्तिशाली ग्रुप है. साल 1999 में इसकी स्‍थापना की गई. इसे मजबूत अर्थव्‍यवस्‍था वाले देशों द्वारा मिलकर आपसी सहयोग के लिए बनाया गया था. इसमें भारत, चीन, अमेरिका, रूस, जर्मनी, जापान के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, ऑस्‍ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, इंडोनेशिया, साउथ अफ्रीका सउदी अरब, तुर्किये, मैक्सिको, साउथ कोरिया, यूरोपीय संघ और अर्जेंटीना शामिल हैं.

दरअसल, साल 1999 से पहले कुछ सालों से एशिया आर्थिक संकट से जूझ रहा था, जिसे देखते हुए जर्मनी में जी8 देशों की बैठक हुई और जी20 का गठन किया गया. इसमें सभी मजबूत अर्थव्‍यवस्‍था वाले 20 देशों के वित्‍त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों को बुलाया गया. संगठन का मकसद वैश्‍विक आर्थिक मुद्दों पर आपसी चर्चा कर हल निकालना था. साल 2008 की वैश्‍विक मंदी के बाद यह निर्णय लिया गया कि इस बैठक में सभी देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष भी हिस्‍सा लेंगे.

जी20 की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके सदस्‍य देशों के पास मिलाकर दुनिया की 80 प्रतिशत जीडीपी, 60 प्रतिशत आबादी और 75 प्रतिशत ग्‍लोबल ट्रेड है. ऐसे में इस सम्‍मेलन में लिया गया फैसला दुनिया की इकोनॉमी पर बड़ा असर डालता है.

यूनाइटेड नेशन की तर्ज पर जी20 के पास कोई विधायी शक्ति नहीं है. इस सम्‍मेलन के दौरान लिए गए फैसलों को मानने की कोई कानूनी बाध्‍यता नहीं होती. यह आर्थिक रूप से ताकतवर देशों का एक ग्रुप है. यहां लिए गए निर्णयों से अंतरराष्‍ट्रीय ट्रेड काफी हद तक प्रभावित होता है.

यह सवाल लाजमी है कि आखिर भारत को जी20 का सदस्‍य होने से क्‍या फायदा होगा. सरल शब्‍दों में समझें तो जी20 बैठक के दौरान दुनिया भर की अर्थव्‍यवस्‍थाओं को मजबूत करने और उसे बढ़ावा देने पर चर्चा होती है. आर्थिक मजबूती से देशों में रोजगार के ज्‍यादा अवसर पैदा होते हैं. यहां शिक्षा, खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करना, रोजगार जैसे मुद्दो पर चर्चा के बाद निर्णय लिए जाते हैं.

जी20 के अध्‍यक्ष का फैसला ट्रोइका से तय होता है. हर सम्मेलन को पिछले, वर्तमान और भविष्य के राष्ट्राध्यक्ष के समर्थन से आयोजित किया जाता है. इसके समूह को ट्रोइका कहा जाता है. इस बार ट्रोइका में इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील हैं. सरल शब्‍दों में समझें तो भारत को जी20 की अध्‍यक्षता इंडोनेशिया से मिली और अब अगले साल ब्राजील इसकी अध्‍यक्षता करने वाला है.

जी 20 में कुल दो ट्रैक होते हैं. पहला वित्‍तीय ट्रैक और दूसरा शेरपा ट्रैक. वित्‍तीय ट्रैक में सदस्‍य देशों के वित्‍त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नर अहम भूमिका निभाते हैं. शेरपा ट्रैक में शेरपा शब्‍द को नेपाली भाषा से लिया गया है. शेरपा को गाइड कहा जाता है. जी20 में शेरपा नेताओं के गाइड की तरह काम करते हैं. शेरपा ट्रैक में नेताओं के शेरपाओं की चर्चा होती है, जिससे मुख्‍य बैठक के दौरान मुद्दो पर बात करने में आसानी होती है.

यूं तो जी20 का गठन हुए 24 साल हो चुके हैं लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि हर साल जी20 की बैठक हो. दो दशक से भी अधिक वक्‍त में कुल 17 जी20 की बैठकें संपन्‍न हो चुकी हैं. यह 18वां मौका है जब जी20 शिखर सम्‍मेलन का आयोजन किया जा रहा है.

जी20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान केवल ग्रुप के सदस्‍य देश ही इसमें शामिल नहीं होते बल्कि ऐसे देशों को भी आमंत्रित किया जाता है जो इसका हिस्‍सा नहीं हैं. भारत ने नौ देशों को जी20 में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है, जिसमें पड़ोसी देश बांग्‍लादेश के अलावा मिस्‍त्र, यूएई, नीदरलैंड, मॉरीशस, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर और स्‍पेन को शामिल हैं.

जी20 ग्रुप का कोई मुख्‍यालय व सचिवालय नहीं है. इसका आयोजन बिना किसी स्‍थायी कर्मचारी के किया जाता है. सभी 20 सदस्‍य देशों के बीच हर साल रोटेशन की एक प्रणाली है, जिसके माध्‍यम से नए अध्‍यक्ष का चुनाव होता है. एक साल के लिए अध्‍यक्ष बनने वाले देश की ही यह जिम्‍मेदारी होती है कि वो जी20 बैठक का पूरा संचालन करें.