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सूरज पर नहीं उतरेगा आदित्य-L1, 14.85 करोड़ KM दूर से ही करेगा अध्ययन, 4 महीने में पूरी करेगा 15 लाख KM की यात्रा

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इसरो ने भारत के पहले सूर्य मिशन (Solar Mission) ‘आदित्य-एल1’ (Aditya-L1) की लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू कर दी है. आज सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से इसे लॉन्च किया जाएगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या ISRO का आदित्य-L1 मिशन सूर्य पर लैंड करेगा. तो इसका आसान जवाब है नहीं. धरती से सूरज की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है. आदित्य-L1 मिशन धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित L1 यानी लैग्रेंज पॉइंट 1 पर जाएगा. इस स्थान से सूरज की दूरी 14.85 करोड़ किलोमीटर है. आदित्य-L1 इसी लैग्रेंज पॉइंट से सूर्य का अध्ययन करेगा. यहां तक पहुंचने में इसे 4 महीने (करीब 127 दिन) लगेंगे.

क्या है L1 यानी लैरेंज प्वाइंट वन? 
इस मिशन को लेकर लोगों के मन में दूसरा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर यह लैग्रेंज पॉइंट क्या है? दरअसल, यह अंतरिक्ष में मौजूद ऐसी जगह है जो धरती और सूरज के बीच सीधी रेखा में पड़ती है. यह बिंदु धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. सूर्य की अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति है, तो पृथ्वी की अपनी. अंतरिक्ष में जहां पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का असर खत्म होता है और सूरज की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का असर शुरू होता है, इसी पॉइंट को लैग्रेंज पॉइंट कहा जाता है. मिशन आदित्य-L1 को इसी पॉइंट पर तैनात किया जाएगा.

गौरतलब हो कि पृथ्वी और सूरज दोनों की ग्रैविटी की जो सीमा है, वहां कोई छोटी वस्तु लंबे समय तक रह सकती है. आदित्य-L1 दोनों ग्रहों की ग्रैविटी के बीच फंसा रहेगा. इससे आदित्य-L1 के ईंधन की खपत कम होगी और वह ज्यादा दिन तक काम कर सकेगा. सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर जिसे फोटोस्फेयर कहा जाता है, उसका तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियल रहता है. वहीं उसके केंद्र का तापमान अधिकतम 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है. ऐसे में किसी अंतरिक्षयान का वहां जाना संभव नहीं है. इसलिए आदित्य-एल1 को लैग्रेंज पॉइंट पर स्थिर रखा जाएगा.

क्या काम करेगा आदित्य-L1?
आदित्य-L1 सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं का अध्ययन करेगा. इसके साथ ही सौर हवाओं के विभाजन और तापमान का भी अध्ययन करेगा. इसके अलावा वह सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा. इसमें विभिन्न तरंग बैंडों में प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड लगाए गए हैं. आदित्य-L1 मिशन की लॉन्चिंग लाइव देखने के लिए ISRO ने लिंक जारी की है. इसे इसरो की वेबसाइट https://isro.gov.in पर लाइव देखा जा सकता है. इसके अलावा इसरो के फेसबुक पेज और Youtube चैनल पर भी इसे लाइव देख सकते हैं. वहीं DD नेशनल टीवी पर इसका लाइव प्रसारण 11:20 बजे से किया जाएगा.

आदित्य-L1 के साथ कौन-कौन से

  • PAPA (प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य)- यह सूरज की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स और भारी आयन की दिशाओं और उनका अध्ययन करेगा.
  • VELC (विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ)- इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है. आदित्य-एल1 में लगा VELC सूरज की HD फोटो लेगा. इस पेलोड में लगा कैमरा सूरज के हाई रेजोल्यूशन तस्वीरे लेगा. साथ ही स्पेक्ट्रोस्कोपी और पोलैरीमेट्री भी करेगा.
  • SUIT (सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप)- यह एक अल्ट्रावायलेट टेलिस्कोप है. यह सूरज की अल्ट्रावायलेट वेवलेंथ की तस्वीरे लेगा. साथ ही यह सूरज के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की तस्वीरें लेगा.
  • SoLEXS (सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर)- यह सूरज से निकलने वाले एक्स-रे और उसमें आने वाले बदलावों का अध्ययन करेगा. साथ ही यह सूरज से निकलने वाली सौर लहरों का भी अध्ययन करेगा.
  • HEL10S (हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर)- यह एक हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है. यह हार्ड एक्स-रे किरणों का अध्ययन करेगा. आसान शब्दों में कहे तो यह सौर लहरों से निकलने वाले हाई-एनर्जी एक्स-रे का अध्ययन करेगा.
  • ASPEX (आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट)- इसमें दो सब-पेलोड्स हैं. पहला SWIS यानी सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर जो कम ऊर्जा वाला स्पेक्ट्रोमीटर है. यह सूरज की हवाओं में आने वाले प्रोटोन्स और अल्फा पार्टिकल्स का अध्ययन करेगा. दूसरा STEPS यानी सुपरथर्म एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर. यह सौर हवाओं में आने वाले ज्यादा ऊर्जा वाले आयंस का अध्ययन करेगा.
  • MAG (एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर्स)- यह सूरज के चारों तरफ मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेगा. साथ ही यह धरती और सूरज के बीच मौजूद कम तीव्रता वाले मैग्नेटिक फील्ड का भी अध्ययन करेगा.