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भारत की आर्थिक वृद्धि दुनिया के लिए भी अच्छी अर्थव्यवस्था से खास इंटरव्यू में बोले पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि न केवल भारतीयों, बल्कि दुनिया के लिए भी अच्छी है. उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में 9 और 10 सितंबर को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले Moneycontrol.com (मनीकंट्रोल.कॉम) को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, ‘भारत का आर्थिक विकास स्वच्छ और हरित विकास है. इसे मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ हासिल किया जा रहा है, जिसे अन्य देशों में भी दोहराया जा सकता है. भारत का विकास वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के हितों को आगे बढ़ाने में मदद करता है.

2024 में वैश्विक विकास के धीमा होने की संभावना के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थान और रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज भारत को विश्व की अर्थव्यवस्था में एक उज्ज्वल स्थान मानते हैं. आधिकारिक आंकड़ों में पहली तिमाही (Q1) के दौरान भारत की जीडीपी विकास दर 7.8 प्रतिशत दिखाई गई है. वहीं रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने मजबूत आर्थिक गति के चलते 2023 कैलेंडर वर्ष के लिए भारत के आर्थिक विकास का अनुमान बढ़ाकर शुक्रवार को 6.7 प्रतिशत कर दिया.

मूडीज ने अपने ‘ग्लोबल मैक्रो आउटलुक’ में कहा, ‘मजबूत सेवाओं के विस्तार तथा पूंजीगत व्यय ने भारत की दूसरी (अप्रैल-जून) तिमाही में एक साल पहले की तुलना में 7.8 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि को प्रेरित किया. इसलिए हमने भारत के लिए अपने 2023 कैलेंडर वर्ष के वृद्धि का अनुमान 5.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है.’ रेटिंग एजेंसी ने कहा कि दूसरी तिमाही का बेहतर प्रदर्शन 2023 में उच्च आधार प्रदान करता है. मूडीज ने कहा, ‘हमने अपना 2024 का वृद्धि अनुमान 6.5 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है.’

लोगों की क्षमताओं और भारत की अद्भुत विविधता को रेखांकित करते हुए हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने एक अलग नजरिया विकसित किया है और उनकी सरकार ने पहले दिन से ही दृष्टिकोण को बदलने पर काम किया है. उन्होंने कहा, ‘मैंने देशभर में वैश्विक नेताओं के साथ कई कार्यक्रमों की मेजबानी की है. मैं कुछ उदाहरण बताना चाहता हूं. बेंगलुरु में तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की मेजबानी की गई थी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने वाराणसी का दौरा किया. पुर्तगाली राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा की गोवा और मुंबई में मेजबानी की गई. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांति निकेतन का दौरा किया.’