खालिस्तानी समर्थक तत्व ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ और ‘राजनीतिक समर्थन’ जैसी धारणाओं की आड़ में करीब 50 साल से कनाडा की जमीन से ‘‘स्वतंत्र रूप से काम कर रहे’’ हैं, लेकिन कनाडा इन चरमपंथियों द्वारा डराने धमकाने, हिंसा किए जाने और नशीले पदार्थों की तस्करी में लिप्त रहने पर‘पूरी तरह चुप्पी साध’लेता है. सूत्रों ने मंगलवार यह जानकारी दी. सूत्रों ने कहा कि ‘एयर इंडिया’ के विमान कनिष्क में 1985 में खालिस्तानी चरमपंथियों ने बम विस्फोट किया था और यह अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए हमले से भी पहले हुआ दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी हमलों में से एक हमला था. उन्होंने कहा कि कनाडाई एजेंसियों की स्पष्ट ‘‘बेरुखी’’ के कारण इस हमले का मुख्य आरोपी तलविंदर सिंह परमार और उसके खालिस्तानी चरमपंथियों का समूह बचकर निकल गए.
सूत्रों ने कहा कि विडंबना यह है कि परमार अब कनाडा में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों का नायक है और प्रतिबंधित समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने अपने अभियान केंद्र का नाम भी परमार के नाम पर रखा है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में खालिस्तानी चरमपंथियों के हौंसले और बुलंद हो गए और उन्होंने ‘बिना किसी खौफ’ के कनाडा से काम करना शुरू कर दिया.
2016 के बाद बढ़ी अल्पसंख्यकों की हत्याएं
सूत्रों ने कहा कि पिछले एक दशक में पंजाब में सामने आए आतंकवाद के आधे से ज्यादा मामलों के तार कनाडा स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों से जुड़े होने का पता चला है. उन्होंने कहा कि 2016 के बाद पंजाब में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों को लक्ष्य बनाकर की गई कई हत्याएं खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की करतूत थीं, जिसकी हत्या से भारत और कनाडा के बीच विवाद पैदा हो गया है. सूत्रों ने कहा कि कनाडाई एजेंसियों ने निज्जर और उनके मित्रों भगत सिंह बराड़, पैरी दुलाई, अर्श डल्ला, लखबीर लांडा और कई अन्य लोगों के खिलाफ कथित तौर पर कभी कोई जांच शुरू नहीं की. पंजाब में लाशों का ढेर लगने के बावजूद वे ‘‘राजनीतिक कार्यकर्ता’’ बने हुए हैं.
भारत ने कनाडा को दिया कड़ा जवाब
भारत ने इन आरोपों को ‘‘बेतुका’’ और ‘‘निहित स्वार्थों से प्रेरित बताकर’’ दृढ़ता से खारिज कर दिया और इस मामले में ओटावा से एक भारतीय अधिकारी को निष्कासित किए जाने के बाद जवाबी कदम उठाते हुए एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया था. कनाडा में बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों और राजनीतिक रूप से समर्थित घृणा अपराधों और आपराधिक हिंसा को देखते हुए भारत ने 20 सितंबर को अपने नागरिकों और वहां की यात्रा करने पर विचार कर रहे देश के लोगों को “अत्यधिक सावधानी” बरतने का परामर्श जारी किया. इसके एक दिन बाद, भारत ने कनाडा स्थित अपने उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों के समक्ष उत्पन्न ‘सुरक्षा खतरों’ के मद्देनजर कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करने पर अस्थायी रूप से रोक लगाने की घोषणा की.