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सुख धालीवाल का दिमाग और ट्रूडो का फैसला…कैसे खालिस्तानियों की सहानुभूति पाने को निज्जर की मौत को बनाया मोहरा

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क्या खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का इस्तेमाल जस्टिन ट्रूडो सरकार सहानुभूति हासिल करने और कनाडा में अपना बेस सपोर्ट बढ़ाने के लिए कर रही है? सीएनएन-न्यूज18 को पता चला है कि खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर निशाना साधने वाले लिबरल सांसद सुख धालीवाल को जस्टिन ट्रूडो की रेटिंग को चमकाने के लिए नागरिकता और आप्रवासन के स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करके पुरस्कृत किया गया है.

सूत्रों के मुताबिक यह इनाम उन्हें उनके व्यापक सिख समर्थन आधार और आईएसआई से निकटता के लिए मिला है. सूत्रों का कहना है कि सुख धालीवाल ने लगभग चार महीने पहले पाकिस्तान का दौरा किया था और उनका भव्य स्वागत किया गया था. पाकिस्तान में उनके पोस्टर हर दीवार पर सजे थे. यहीं पर धालीवाल और ट्रूडो दोनों की घटती रैंकिंग को बढ़ावा देने की साजिश रची गई थी, क्योंकि सुख धालीवाल और ट्रूडो की घटती लोकप्रियता के बारे में पूरा कनाडा जानता है.

सूत्रों ने बताया कि जब धालीवाल पाकिस्तान से लौटे तो उन्होंने ट्रूडो को यह विचार दिया और उन्होंने खालिस्तानियों की सहानुभूति हासिल करने के लिए निज्जर की मौत का इस्तेमाल करने का फैसला किया. हाउस ऑफ कॉमन्स में भारत के खिलाफ सुख का भाषण उपरोक्त तथ्य को पुख्ता करता है. दरअसल, लुधियाना के सुजापुर गांव में जन्मे सुख धालीवाल ने गुरु नानक देव इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और 2021 में कनाडाई चुनाव जीतने वाले 16 इंडो-कैनेडियन पंजाबियों में से एक थे.

यह पहली बार नहीं है जब धालीवाल का नाम भारत विरोधी रुख के सिलसिले में सामने आया है. साल 2010 में लिबरल सांसद धालीवाल और एंड्रयू कानिया ने हाउस ऑफ कॉमन्स में एक याचिका पेश की थी, जिसमें ओटावा से भारत में 1984 के सिख दंगों को नरसंहार के रूप में मानने के लिए कहा गया था. लेटेस्ट हरदीप सिंह निज्जर मौत विवाद में, जो भारत और कनाडा के बीच राजनयिक टकराव में बदल गया है, सुख धालीवाल भारत की आलोचना करने वालों में मुखर रहे हैं.