मध्य अमेरिकी देश निकारागुआ जाने वाले जिस विमान को मानव तस्करी के संदेह में फ्रांस से वापस भेज दिया गया था, उसमें सवार गुजरात के 60 से अधिक लोग इमिग्रेशन एजेंट को 60 -80 लाख रुपये देने के लिए राजी हुए थे और एजेंट ने उनसे लैटिन अमेरिकी देश में पहुंचने के बाद अवैध ढंग से अमेरिका पहुंचा देने का वादा किया था. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. एक सप्ताह पहले एक एयरबस ए 340 विमान निकारागुआ जा रहा था और मानव तस्करी के संदेह में उसे चार दिनों तक फ्रांस में रोककर रखा गया था. उसमें 260 भारतीयों समेत 303 यात्री सवार थे. वह विमान 26 दिसंबर को तड़के मुंबई लौटा था. राज्य अपराध जांच विभाग (सीआईडी– अपराध एवं रेलवे) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इन यात्रियों में गुजरात के 66 लोग थे, जो पहले ही राज्य में अपने-अपने मूल स्थानों पर पहुंच चुके हैं.
इस प्रकरण की जांच कर रहे पुलिस अधीक्षक (सीआईडी-अपराध, रेलवे) संजय खराट ने बताया कि गुजरात के ये 66 लोग मुख्य तौर पर मेहसाणा, अहमदाबाद, गांधीनगर और आनंद जिलों के हैं और उनमें कुछ नाबालिग भी हैं. उन्होंने बताया, ‘‘ हम पहले ही उनमें से 55 लोगों से पूछताछ कर चुके हैं और उनके बयान दर्ज कर चुके हैं. उनमें से अधिकतर आठवीं से 12 वीं कक्षा तक पढ़े हुए हैं. उनमें से हर एक ने कबूल किया कि वे स्थानीय इमिग्रेशन एजेंट को दुबई के रास्ते निकारागुआ पहुंचने के बाद अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल करवाने में मदद के लिए 60 लाख से 80 लाख रुपये देने पर राजी हुए थे.’’
15 एजेंटों के बारे में जुटाई जा रही जानकारी
राज्य सीआईडी ने अबतक करीब 15 एजेंट के नाम एवं फोन नंबर जुटा लिये हैं, जिन्होंने इन 55 लोगों से वादा किया था कि वे उन्हें अमेरिका-मैक्सिको सीमा के रास्ते अवैध रुप से अमेरिका पहुंचा देने में मदद करेंगे. खराट ने कहा, ‘‘ इन एजेंट ने इन 55 लोगों से अमेरिका पहुंचने के बाद ही पैसे का भुगतान करने को कहा था. इन एजेंट ने इन यात्रियों से कहा था कि उनके लोग उन्हें निकारागुआ से अमेरिका सीमा तक ले जायेंगे और वे उन्हें सीमा को पार कराने में मदद करेंगे. यह भी खुलासा हुआ है कि इन एजेंट ने इन यात्रियों के लिए विमान टिकट बुक कराया था और उन्हें किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए 1000-3000 डॉलर दिये थे.’’