इसरो (ISRO) का सोलर मिशन आदित्य एल1 (Aditya L1) शनिवार को अपनी अंतिम मंजिल पर पहुंच जाएगा. इसरो ने कहा कि भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला (Solar Observatory) आदित्य एल 1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित उसकी अंतिम कक्षा में कल स्थापित करने के लिए सभी तैयारियों को पूरा कर लिया गया है. गौरतलब है कि लैग्रेंज पॉइंट 1 (Lagrange point 1) या एल1 पॉइंट, पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच संतुलन बिंदुओं में से एक है. इस बिंदु पर दोनों पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल समान होते हैं, जिससे वहां एक छोटी वस्तु स्थिर स्थिति में बनी रह सकती है.
पृथ्वी और सूर्य के बीच लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य के सामने की दिशा में स्थित है. इस बिंदु पर मिलने वाली शानदार स्थिरता के कारण इसरो का लक्ष्य आदित्य एल1 को लैग्रेंज पॉइंट 1 (एल1) पर स्थापित करना है. L1 पर गुरुत्वाकर्षण बल एक स्थिर वातावरण बनाते हैं. जिससे यह वैज्ञानिक अवलोकनों और अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक आदर्श स्थान बन जाता है. जिससे बड़े खगोलीय पिंडों के संबंध में सापेक्ष स्थिरता सुनिश्चित होती है.
आदित्य L1 हेलो कक्षा में कब प्रवेश करेगा?
इसरो अधिकारियों के मुताबिक अंतरिक्ष यान को शनिवार शाम करीब 4 बजे लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) के आसपास एक कक्षा में स्थापित किया जाएगा. यह आदित्य L1 को इच्छित कक्षा में बांध देगा और इसे सूर्य की ओर बढ़ने से रोक देगा. आदित्य एल1 मिशन का प्रमुख उद्देश्य सूर्य के ऊपरी वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) की गतिशीलता का अध्ययन करना है. सूर्य से कणों की गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करते हुए आदित्य एल1 मौके पर ही कणों और प्लाज्मा के वातावरण का निरीक्षण करेगा.