नीति आयोग ने देश में गरीबी को एक रिपोर्ट जारी किया है. आयोग 2022-23 के लिए जारी रिपोर्ट में कहा कि पिछले 9 साल में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं. प्रमुख राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई.
NITI आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में मात्र 11.28 प्रतिशत रह गई है. इस अवधि के दौरान लगभग 24.82 करोड़ लोग इस ब्रैकेट से बाहर निकल गए.
शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर में सुधार
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभाव को मापती है. यह 12 सतत विकास लक्ष्यों-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं.
12 सतत विकास लक्ष्यों में क्या-क्या हैं शामिल?
इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं. नीति आयोग का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) गरीबी दर में गिरावट का आकलन करने के लिए अल्किरे फोस्टर पद्धति का उपयोग करता है, हालांकि राष्ट्रीय एमपीआई में 12 संकेतक शामिल हैं, जबकि वैश्विक एमपीआई में 10 संकेतक शामिल हैं.