अयोध्या धाम में श्रीराम जन्मभूमि के भव्य एवं दिव्य मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का हर्ष उल्लास चहुंओर है. अयोध्या धाम स्थित प्रभु श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला के नवीन विग्रह के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को पूरे देश में आनंद के साथ देखा गया. ‘नए भारत’ में सांस्कृतिक पुनर्जागरण के शिल्पी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए जिस तरह नियम धर्म के कड़े अनुशासन का पालन किया है वो बिरला है. प्रधानमंत्री ने तय किया कि अपनी तमाम व्यस्तताओं और जिम्मेदारियों के बावजूद वो प्राण प्रतिष्ठा के दिन और उसके पूर्व के सभी नियमों और तपश्चर्याओं को उतनी ही दृढ़ता के साथ पालन करेंगे, जैसा कि शास्त्रों में निर्देश दिया गया है.
पीएम मोदी ने किया यम नियम का पालन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूजन पाठ के सभी विधि विधानों में स्वयं काफी पारंगत हैं और व्रत-संकल्प के साथ समस्त धार्मिक और शास्त्रीय प्रक्रियायों को समझते हैं. शास्त्रों में नियम है कि मूर्ति की स्थापना के लिए जो यजमान होते हैं उन्हें मूर्ति की स्थापना से कुछ दिन पहले से ही कुछ विशेष नियमों यम नियम का पालन करना होता, जिससे तन-मन की पवित्रता और शुचिता बनी रहे.
यम का मतलब होता है संयम और नियम का अर्थ है अनुशासन, जो अष्टांग योग का अंग है. यम नियम में प्रतिदिन स्नान, अन्न त्याग, बिस्तर पर सोने का त्याग आदि जैसे कठोर नियम होते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यम नियम का संकल्प लिया था और वह 12 जनवरी से 11 दिनों के लिए यम नियम का पालन कर रहे थे. प्रधानमंत्री मोदी हर रोज सुबह 3:40 में जाप कर रहे थे. साथ ही आध्यात्मिक जगत के कुछ सिद्ध पुरुषों द्वारा प्राप्त मंत्र जाप का विशेष पाठ प्रधानमंत्री प्रति दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में 1 घंटा 11 मिनट करते थे. यह जाप उनके 11 दिन के अनुष्ठान का सबसे महत्वपूर्ण कार्य रहा.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अनुष्ठान के लिए अन्न-जल दोनों का त्याग कर रखा था. जल के स्थान पर प्रधानमंत्री केवल नारियल पानी का सेवन कर रहे थे. इसके अतिरिक्त पीएम मोदी तपश्चर्या के भी सभी नियमों का पालन कर रहे थे. प्रधानमंत्री मोदी इस अनुष्ठान के दौरान जमीन पर केवल एक कंबल बिछाकर सो रहे थे.
आम जनमानस के हृदय में बस गए पीएम मोदी
भगवान श्रीराम से जुड़े मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करते हुए पीएम मोदी आम जनमानस के हृदय में बस गए हैं. जैसे तिरुचिरापल्ली में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में विद्वानों से कम्ब रामायणम के पाठ सुनने के बाद प्रधानमंत्री ने श्री रंगनाथस्वामी के दर्शन कर आशीर्वाद लिए. इस दौरान पारंपरिक परिधान वेष्टि यानी धोती और अंगवस्त्रम यानी शॉल पहना था और भगवान विष्णु के मंदिर में पूजा-अर्चना की. उन्होंने मंदिर में हाथी को भोजन देकर उसका आशीर्वाद भी प्राप्त किया.