कोकोपीट तकनीक से पूरा होगा घर की छत पर बागवानी का सपना
बिलासपुर- अब नारियल के रेशे से कृत्रिम मिट्टी बनाई जा सकेगी। कोकोपीट तकनीक से तैयार होने वाली यह मिट्टी, मेट्रो सिटी में रहने वाले ऐसे लोगों के काम आएगी, जो घर की छत पर बागवानी का शौक रखते हैं लेकिन मिट्टी के अभाव में पूरा नहीं कर पाते।
ताजा-ताजा आई कोकोपीट तकनीक की मदद से नारियल के रेशों से पहली बार ऐसी कृत्रिम मिट्टी का बनाया जाना संभव हो चला है, जिसमें पौधों के विकास के लिए वह सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जिन्हें आवश्यक माना गया है। महत्वपूर्ण यह है कि नारियल के रेशे पर्यावरण को शुध्द रखते हैं क्योंकि इसमें भारी गैस को अवशोषित करने की क्षमता होती है।
उपयोगी इनके लिए
कोकोपीट तकनीक। ज्यादातर उपयोग विदेशों में होता है। देश में यह तकनीक मेट्रो सिटी में रहने वाले ऐसे लोगों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जो बागवानी में शौक तो रखते हैं लेकिन मिट्टी की उपलब्धता नहीं होने से परेशान होते हैं। यह दिक्कत तब और भी ज्यादा बढ़ जाती है, जब घर की छत पर यह काम करना होता है। कोकोपीट तकनीक की मदद से नारियल के रेशों से बनी यह कृत्रिम मिट्टी अब बागवानी के शौक को पूरा करने में काम आएगी।
कर सकते हैं फूल और सब्जी की खेती
नारियल के रेशे से बनाई गई मिट्टी में फूलों के अलावा छोटे पैमाने पर सब्जी की भी फसल ली जा सकती है क्योंकि रिसर्च में नारियल रेशा में उच्च पोषक तत्वों की मौजूदगी का होना पाया गया है। इसके अलावा यह रेशा वायुमंडल में मौजूद भारी गैस को भी अवशोषित करने में सक्षम है। यानी यह कृत्रिम मिट्टी, पर्यावरण को शुध्द करता है।
यह है कोकोपीट तकनीक
नारियल का छिलका यानी रेशों का गुच्छा। निकाला गया यह रेशा सुरक्षित रखें। ज्यादा होने पर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें। मिक्सर, ओखली या फिर पत्थरों से पीसें। निकला पाउडर अलग करें। हिलाने या छानने से हासिल रेशा, जैविक खाद की मदद से हल्की सिंचाई के बाद मिट्टी का रूप ले लेता है। नारियल यानी कोकोनट शब्द पहचान है, इसलिए इसे कोकोपीट तकनीक नाम दिया गया है।
मिट्टी का विकल्प
नारियल का फल जितना उपयोगी है उतना ही उपयोगी उसका बाहरी हिस्सा होता है। नारियल के रेशे में कई तरह के जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो पौधों के विकास के लिए मिट्टी में उपलब्ध होते हैं। छोटे स्तर पर टेरेस फार्मिंग करने वाले लोगों के लिए नारियल की भूसी और खाद से तैयार की गई कृत्रिम मिट्टी की यह कोकोपीट तकनीक काफी कारगर है।
अजीत विलियम्स,साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर