पैसे कमाने और बचाने की जुगत में हर आदमी लगा रहता है. वह ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते जहां उन्हें पैसे कमाने या बचाने का विकल्प मिले. ऐसा ही एक अवसर होता है चुनाव का. चाहे लोकसभा चुनाव हों या राज्यों के इलेक्शन, आम आदमी को भी पैसे बचाने का मौका मिलता है. अगले कुछ महीने में फिर लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में आपके पास एक बार फिर पैसे बचाने का मौका होगा.
चुनाव से पहले सरकार चुनावी बॉन्ड जारी करती है. इसका मकसद चुनाव के लिए फंड जुटाना होता है. इसकी शुरुआत साल 2018 में की गई थी. अनुमान है कि लोकसभा चुनाव से पहले सरकार एक बार फिर चुनावी बॉन्ड जारी करेगी, जिसके जरिये आप अपने चहीते राजनीतिक दल को चंदा या फंड दे सकते हैं.
क्या इस पर रिटर्न मिलेगा
अगर आप ऐसा सोच रहे कि इस बॉन्ड पर आपको ब्याज का भुगतान किया जाएगा या फिर आपको रिटर्न दिया जाएगा तो गलत हैं. यह एक तरह का अनुदान रसीद है. इसका मतलब है कि आप जो भी चंदा या दान दे रहे हैं अपनी राजनीतिक पार्टी को, उसके एवज में आपको रसीद दी जाएगी. इसे एक बार खरीदकर न तो आप वापस ले सकते हैं और न ही किसी तरह का ब्याज मिलता है.
आपको क्या फायदा मिलेगा
यह बात तो समझ ही गए होंगे कि बॉन्ड के जरिये आप अपनी मनपसंद की पार्टी को चंदा दे सकते हैं, लेकिन इससे आपको क्या फायदा होगा. दरअसल, बॉन्ड खरीदने पर आपको एक रसीद मिलती है जो इनकम टैक्स छूट दिलाती है. आयकर की धारा 80जीजीसी और 80जीजीबी के तहत इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों को टैक्स छूट मिलती है. खास बात ये है कि आप जो भी पैसा इस बॉन्ड में लगाते हैं, उस पूरे पैसे पर आपको छूट मिल जाती है.
याद रखें यह जरूरी बात
अगर आप भी चुनावी बॉन्ड खरीदकर टैक्स बचाने की सोच रहे हैं तो अपना केवाईसी वेरिफाई कराना जरूरी है. बिना वेरिफाई केवाईसी के बॉन्ड को नहीं खरीदा जा सकता है. बॉन्ड खरीदने वाले का नाम पूरी तरह गुप्त रखा जाता है. मसलन, यह किसी को पता नहीं होगा कि आपने किस चुनावी दल को पैसा भेजा है. चुनावी बॉन्ड का मकसद भी यही है कि पार्टियों को गुप्त रूप से दान मिले.