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क्‍या है 5 भारत रत्‍न अवॉर्ड का इन 5 M से ल‍िंक? चुनावी साल में पीएम मोदी ने एक साथ कैसे हर वर्ग को साधा?

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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने लालकृष्ण आडवाणी, कर्पूरी ठाकुर, चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न (Bharat Ratna Award) देने की घोषणा कर दी है. कुछ भी हो पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित पुरस्कार को राजनीतिक भेदभाव से ऊपर उठाया है. इस मामले में योग्यता ने घटिया राजनीति को पीछे छोड़ दिया है. पीएम मोदी की सरकार अपने विरोधियों को भी भारत रत्न देने और उन लोगों को भारत रत्न देने में नहीं हिचकिचाई, जिनको कांग्रेस ने कभी इसके लिए नहीं चुना.

बहरहाल इस साल भारत रत्न के लिए चुने गए ये पांच नाम भारत के इतिहास में पांच बड़े बदलावों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन बदलावों को भारतीय राजनीति में मंडल, मंदिर, मार्केट, मिलेट (या कृषि उपज) और मंडी (या किसान) के तौर पर सामने रखा जा सकता है. इनमें कर्पूरी ठाकुर को पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण के विचार को सामने रखने वाला माना जाता है. 1978 में वह बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए 26 फीसदी आरक्षण लाए. उन्हें मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए याद किया जाता है, जिसने इन कोटा की शुरुआत की थी. जिसके कारण 1990 के दशक में मंडल आयोग की सिफारिशें हुईं.

मंदिर आंदोलन से चमकी बीजेपी
उसी हफ्ते भाजपा के हिंदुत्व के मूल पोस्टर बॉय लालकृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न देकर मंडल को मंदिर से जोड़ दिया गया. जिनकी 1990 के दशक में सोमनाथ से रथ यात्रा ने पूरे भारत में हिंदुत्व को जागृत किया. जिसके बाद बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ. ऐसे समय में जब भाजपा “रामलला के आगमन” का जश्न मना रही है, वह आडवाणी को इससे बेहतर सम्मान नहीं दे सकती थी. वहीं प्रधानमंत्री के रूप में पीवी नरसिम्हा राव का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों को अपनाने का दौर था. जिसने 1991 की गहरी आर्थिक गड़बड़ी के बाद भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया.