जब प्रमोटर किसी कंपनी के शेयर बेच रहे होते हैं तो माना जाता है कि स्टॉक ओवरवैल्यूड हो गया है या फिर उचित दाम पर है. यही कारण है कि निवेशक हमेशा प्रमोटरों की बिक्री पर नजर रखते हैं. प्रमोटर के बिक्री शुरू करने पर निवेशक आमतौर पर उस शेयर से दूर ही रहना पसंद करते हैं. लेकिन, पिछले एक साल में कुछ शेयरों में प्रमोटरों द्वारा हिस्सेदारी बेचने के बावजूद भी खूब तेजी आई है.
HDFC एसेट मैनेजमेंट कंपनी, टीडी पावर सिस्टम, जिंदल स्टेनलेस और कई अन्य के स्टॉक पिछले एक साल में दोगुने हो गए हैं, जबकि प्रमोटरों ने इन शेयरों में 9 फीसदी से 24 फीसदी के बीच बिकवाली की है. बाजार जानकारों का मानना है कि प्रमोटरों की ओर से कंपनी में हिस्सेदारी का एक छोटा सा हिस्सा बेचना चिंता का विषय नहीं है. लेकिन अगर प्रमोटर लगातार अपनी हिस्सेदारी कम कर रहे हैं, तो निवेशकों को जरूर सतर्क हो जाना चाहिए.
प्रमोटर क्यों बेच रहे हैं शेयर?
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, मोनार्क नेटवर्थ में इंस्टीट्यूशनल ब्रोकिंग के प्रमुख पूर्वेश शेलटकर का कहना है कि प्रमोटर की बिकवाली का प्रमुख कारण यह है कि इस बाजार की तेजी के कारण उन्हें अच्छा मूल्यांकन मिल रहा है. जिन कंपनियों के प्रमोटर शेयरों की बिकवाली कर रहे हैं, उनमें पैसा लगाने से पहले निवेशकों को कंपनी के कैशफ्लो और फंडामेंटल्स पर गौर करना चाहिए क्योंकि यही सबसे अहम है.
किस कंपनी में बेची कितनी हिस्सेदारी
दिसंबर 2022 से दिसंबर 2023 तक, टीडी पावर सिस्टम्स के प्रमोटरों ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 24 फीसदी से अधिक कम कर दी. इसके बावजूद पिछले एक साल में स्टॉक में 113 फीसदी का उछाल आया है. एचडीएफसी एएमसी में प्रमोटर की हिस्सेदारी सालभर में 10.2 फीसदी कम हुई है और कंपनी का शेयर इस अवधि में 100 फीसदी उछला है. आर्चिड फार्मा लिमिटेड में एक साल प्रमोटर ने अपनी हिस्सेदारी 20.2 फीसदी घटाई है जबकि शेयर इस अवधि में 173 फीसदी उछला है.
इसी तरह इनॉक्स वाइंड लिमिटेड में प्रमोटर होल्डिंग 19.3 फीसदी कम हुई है और शेयर 465 फीसदी उछला है. के एंडी आर इंजीनियरिंग लिमिटेड में प्रमोटर ने 19.1 फीसदी हिस्सेदारी घटाई है और कंपनी का स्टॉक एक साल में 306 फीसदी उछला है.