गेहूं की कीमतों पर नियंत्रण रखने और जमाखोरी व कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने अहम कदम उठाया है. गेहूं पर स्टॉक की सीमा रविवार को खत्म होने के साथ सरकार ने शुक्रवार को थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं को गेहूं का भंडार घोषित करने का निर्देश दिया. गेहूं पर स्टॉक सीमा पिछले साल 12 जून को लगाई गई थी. खाद्य सुरक्षा बनाए रखने और जमाखोरी तथा सट्टेबाजी रोकने के लिए 31 मार्च, 2024 तक यह सीमा लागू थी.
ताजा निर्देश के तहत एक अप्रैल से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में थोक विक्रेताओं, प्रसंस्करणकर्ताओं और बड़े खुदरा विक्रेताओं सहित खुदरा विक्रेताओं को एक पोर्टल पर अपने स्टॉक की जानकारी देनी होगी. इसके बाद उन्हें प्रत्येक शुक्रवार को स्टॉक की घोषणा करनी होगी। व्यापारियों को पहले ही इस पोर्टल पर चावल का स्टॉक घोषित करने के लिए कहा जा चुका है.
कीमतों पर नियंत्रण की कोशिश
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने बयान में कहा कि वह कीमतों को काबू में रखने और घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं और चावल के स्टॉक पर कड़ी नजर रख रहा है. इससे पहले केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में गेहूं के दाम बढ़ने से रोकने के लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट घटा दी थी. इसके तहत थोक व्यापारियों, बड़ी रिटेल और प्रोसेसिंग कंपनियों के लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट को आधा कर दिया था.
सरकार ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए खुले बाजार में गेहूं की बिक्री भी की. सरकार ने 2,150 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 101.5 लाख टन गेहूं भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से ई—नीलामी द्वारा खुले बाजार में बेचने के लिए जारी किया था. इसमें से 80.04 लाख टन गेहूं खुले बाजार में फरवरी तक बेचा जा चुका.