ईरान ने इजरायल पर शनिवार देर रात सैकड़ों ड्रोन, क्रूज मिलाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया है. इस हमले के बाद से मध्य-पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. ईरान और इजराइल के बीच युद्ध तेज होने की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है. रूस-यूक्रेन और इजराइल-गाजा युद्ध के बाद अब अगर एक और जंग होती है, तो उसे किसी भी लिहाज से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं माना जा सकता. ईरान और इजरायल युद्ध की आंच भारत पर खूब होगी. अगर दोनों देशों के बीच जंग छिड़ती है तो इससे न केवल भारत में महंगाई बढने का खतरा है, बल्कि शेयर बाजार पर नकारात्मक असर होने की आशंका है.
ईरान-इजरायल के बीच युद्ध की आशंका से ही कच्चे तेल के दाम 6 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच चुके हैं. 12 अप्रैल को कच्चे तेल के दाम में 1% की तेजी देखने को मिली. शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 90.45 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है. वहीं, अमेरिकी WTI क्रूड ऑयल 85.66 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर है. एनालिस्टों का अनुमान है कि अगर यह युद्ध बड़ा रूप लेता है तो ब्रेंट क्रूड ऑयल का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है. भारत अपनी खपत का ज्यादातर कच्चा तेल आयात करता है. इसलिए कच्चे तेल के दाम बढना भारत के लिए किसी लिहाज से शुभ नहीं है.
ईरान-इजराइल के साथ व्यापार होगा प्रभावित
भारत के दोनों ही देशों से कारोबारी संबंध है. ईरान और इजरायल के साथ पिछले साल भारत ने करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया था. ईरान के साथ भारत ने 20800 करोड़ का कारोबार किया. भारत मुख्यत: ईरान को चाय, कॉफी, बासमती चावल और चीनी का निर्यात करता है. भारत से ईरान को पिछले साल 15300 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था. वहीं, ईरान से भारत ने पेट्रोलियम कोक, मेवे और कुछ अन्य चीजें आयात की. इनका मूल्य 5500 करोड रुपये था. भारत चाबहार पोर्ट और इससे लगे चाबहार स्पेशल इंडस्ट्रियल जाने में भी सांझेदार है. साल 2023 में भारत का इजरायल के साथ 89 हजार करोड रुपये का कारोबार रहा. भारत ने ईरान को 70 हजार करोड रुपये का माल और सेवाओं का निर्यात किया.