Home देश सम्राट अशोक की निशानी यहां कैसे पहुंची’, एस. जयशंकर की ये खास...

सम्राट अशोक की निशानी यहां कैसे पहुंची’, एस. जयशंकर की ये खास तस्वीर क्यों है अहम

0

विदेश मंत्री एस जयशंकर जर्मनी के दौर पर हैं. इस दौरान उन्होंने वहां के चांसलर ओलाफ शोल्ज और अन्य मंत्रियों के साथ तमाम द्विपक्षीय और वैश्विक मसले पर बातचीत की. उन्होंने चांसलर शोल्ज को पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से व्यक्तिगत शुभकामनाएं दीं. लेकिन, जयशंकर के इस दौरे की एक तस्वीर सामने आई है. यह तस्वीर जर्मनी में भारत की सांस्कृतिक विरासत और धरोहरों के महत्व के बारे में बताती है.

दरअसल, जयशंकर इस दौरे के दौरान बर्लिन के प्रसिद्ध हम्बोल्ट फोरम (Humboldt Forum) पहुंचे थे. हम्बोल्ट फोरम एक म्यूजियम है जो मानव इतिहास, कला और संस्कृति से जुड़े हजारों सालों का इतिहास सोजकर रखा हुआ है. यह हम्बोल्ट फोरम बर्लिन पैलेस के अंदर है. इस म्यूजियम का उद्धाटन कोविड काल में हुआ था. दुनिया की संस्कृति और कला को समझने वाले कला प्रेमी यहां खूब आते हैं.

तो ये हैं हम्बोल्ट फोरम का संक्षिप्त इतिहास. लेकिन आप सोच रहे होंगे कि हम आपको इस बारे में क्यों बता रहे हैं. दरअसल, यह हम्बोल्ट फोरम दुनिया में भारत की मानव इतिहास से जुड़ी चीजों को सजोने का काम किया है. यह किसी भौगोलिक लाइन के परे है. इस कारण इस हम्बोल्ट फोरम में भारत का इतिहास भी छुपा है. इस हम्बोल्ट फोरम के बाहर एक गेट है, जो भारत के सांची स्तूप के पूर्वी गेट की प्रतिकृति है. विदेश मंत्री अपनी बर्लिन यात्रा के दौरान सांची स्तूप के द्वार की इस प्रतिकृति को देखने पहुंचे. इसी बहाने भारत के खूबसूरत धरोहरों की दुनिया के पटल पर पहुंचने की चर्चा शुरू हो गई है. इस तस्वीर में जयशंकर गेट को गौर से निहार रहे हैं.

सांची स्तूप का संदेश
भारत में सांची का स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है, जो राजधानी भोपाल से करीब 46 किमी दूर है. देश में बौद्ध धर्म के समृद्ध इतिहास और सभ्यता का यह प्रतीक है. इसे तीसरी सदी पूर्व में भारत के महान सम्राट अशोक ने बनवाया था. हालांकि बाद से शासकों ने इसे नष्ट भी किया और फिर उसका जीर्णोधार भी किया गया. भारत के इतिहास में सम्राट अशोक के योगदान और विस्तार की बात किसी से छुपी नहीं है. करीब 2700 साल बाद भी दुनिया अशोक के संदेशों को याद कर रही है.

विदेश मंत्री ने बर्लिन में हम्बोल्ट फोरम में बने सांची स्तूप के पूर्वी द्वार के साथ तस्वीर खिंचवाकर दुनिया को एक बार फिर शांति का संदेश दिया है. यह संदेश इसलिए भी काफी अहम है क्योंकि दुनिया फिर विनाश के मुहाने पर खड़ी है. रूस-यूक्रेन युद्ध हो या फिर इजराइल-हमास जंग… रोज सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं.

जयशंकर तीन देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण के तहत जर्मनी में हैं. वह भारत-खाड़ी सहयोग परिषद मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के बाद सऊदी अरब से यहां पहुंचे हैं. जयशंकर ने एक्स पर लिखा कि बर्लिन में चांसलर ओलाफ शोल्ज से मिलकर सम्मानित महसूस हुआ. उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की ओर व्यक्तिगत शुभकामनाएं दीं. सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के लिए उनकी भारत यात्रा की प्रतीक्षा है. उन्होंने चांसलर के सुरक्षा और विदेश नीति सलाहकार जेन्स प्लॉटनर के साथ भी गहन चर्चा की.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here