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पितृपक्ष में भूलकर भी न खरीदें ये सामान, देवघर के आचार्य से जानें पितरों को क्या नापसंद

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देवघर: पितरों को समर्पित पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर भाद्रपद पूर्णिमा से हो रही है. पितृपक्ष में पितरों की पूजा कर श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म किए जाते हैं. मान्यता है कि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं. माना जाता है कि पितृपक्ष के दिनों में पितर धरती पर आते हैं, इसलिए उनका तर्पण अवश्य करना चाहिए. लेकिन, कुछ ऐसे भी कार्य हैं जो पितृपक्ष के दिनों में बिल्कुल नहीं करना चाहिए. फिर भी अगर आप करते हैं तो इससे पितर नाराज हो सकते हैं. खासकर खरीदारी के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत है.

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि पितृपक्ष पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तिथि तक चलने वाला है. इन दिनों में अपने-अपने पितरों के नाम से तर्पण, श्राद्ध या पिंडदान अवश्य करना चाहिए. इससे पितर तृप्त होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. अगर आपके पितर प्रसन्न हो गए तो घर में किसी प्रकार के कष्ट या आर्थिक संकट नहीं आएंगे. लेकिन, अगर पितर नाराज हुए तो लेने के देने पड़ सकते हैं. ऐसे में उन बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है, जो पितरों को नहीं पसंद है.

पितृपक्ष में भूलकर भी इन चीजों को न खरीदें
पितृपक्ष के दिनों में भूलकर भी नई प्रॉपर्टी, घर या वाहन नहीं खरीदना चाहिए. इससे आपको हानि हो सकती है.

कोई आभूषण न खरीदें
साथ ही पितृपक्ष के दिनों में सोना-चांदी, लोहा आदि चीजों की भूलकर भी खरीदारी नहीं करनी चाहिए. इससे पितर नाराज हो सकते हैं.

घर के छत की ढलाई न करें
अगर आप मकान बनवा रहे हैं तो पितृपक्ष के दिनों में भूलकर भी मकान की छत की ढलाई न कराएं. नहीं तो अशुभ फल की प्राप्ति होगी.

कोई भी मांगलिक कार्य न करें
खरीदारी के साथ ही पितृपक्ष के दिनों में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. जैसे गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ, सगाई आदि. इससे पितर नाराज हो सकते हैं और आपके वंश पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.