कृषि महाविद्यालय बिलासपुर में नव प्रवेशित विद्यार्थियों हेतु पांच दिवसीय दीक्षारंभ प्रेरण कार्यक्रम का चौथा दिन
बिलासपुर – तनाव एक द्वंद्व है, जो मन एवं भावनाओं में गहरी दरार पैदा करता है। तनाव अन्य अनेक मनोविकारों का प्रवेश द्वार है। उससे मन अशांत, भावना अस्थिर एवं शरीर अस्वस्थता का अनुभव करता हैं। ऐसी स्थिति में हमारी कार्य क्षमता प्रभावित होती है और हमारी शारीरिक एवं मानसिक विकास यात्रा में व्यवधान आता है। उक्त उदगार डॉ. आशुतोष तिवारी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक एवं करियर काउंसलर, राज्य मानसिक चिकित्सालय, बिलासपुर ने बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर में नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत आयोजित पांच दिवसीय दीक्षारंभ कार्यक्रम 2024 -25 के चौथे दिन के प्रथम तकनीकी सत्र में कार्य क्षेत्र में तनाव प्रबंधन विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किया।
आपने बताया कि ज्यादा तनाव लेने के कारण व्यक्ति को डिप्रेशन, पैनिक अटैक और स्लीपिंग डिसऑर्डर जैसी समस्याएं हो सकती है। साथ ही इससे उनकी पर्सनालिटी पर भी असर पड़ता है, ऐसे में उनका आत्मविश्वास कम होने लगता है और वह कई बीमारियों का शिकार होकर गलत लत में पड़ जाते हैं। विशेष कर युवाओं में यह समस्या आम देखने में आती है।
तनाव प्रबंधन के लिए नियमित दिनचर्या को बनाए रखें, भरपूर नींद ले, दूसरों से जुड़े, स्वस्थ भोजन, नियमित रूप से व्यायाम करें तथा समाचारों का अनुसरण करने का समय सीमित रखें।
डॉ. प्रमेंद्र कुमार केसरी, वैज्ञानिक एवं विभाग प्रमुख (मृदा विज्ञान) ने फसल उत्पादन में जैव उर्वरकों की भूमिका विषय पर बोलते हुए कहा कि जैव उर्वरक मिट्टी की बनावट और पौधों की उपज में सुधार करते हैं। वे रोगाणुओं को पनपने नहीं देते। जैव उर्वरक पर्यावरण के अनुकूल एवं लागत प्रभावी होते हैं । पर्यावरण को प्रदूषकों से बचाते हैं क्योंकि वे प्राकृतिक उर्वरक है।
द्वितीय तकनीकी सत्र में डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न सम्मान से सम्मानित प्रगतिशील कृषक श्री श्रीकांत गोवर्धन ने अपना जीवन वृतांत विद्यार्थियों को बताते हुए कहा कि जितनी सृष्टि भूमि के ऊपर है उतनी ही भूमि के नीचे भी है। कैसी भी कठिन परिस्थिति हो अपने मन में कभी भी निराश ना लाये। हमेशा कुछ अच्छा करने की सोचे। आपकी सोच एक नए आविष्कार का रूप ले सकती है।
नवप्रवेशी छात्रों को जैविक खेती पर जोर देते हुए आपने बताया कि जैविक खेती कृषि की एक ऐसी विधि है जो फसल उगाने और पशुधन पालने के प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर निर्भर करती है। खेती के इस तरीके में सिंथेटिक उर्वरकों, कीटनाशकों और अनुवांशिक रूप से संशोधित जीवो का उपयोग नहीं किया जाता है। इसकी बजाय जैविक किसान मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने और स्वस्थ पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए फसल चक्र, खाद बनाने और प्राकृतिक कीट नियंत्रण जैसी तकनीकों का उपयोग करते हैं।
डॉ.के.के.श्रीवास्तव, होम्योपैथिक चिकित्सक एवं पतंजलि योगपीठ के योग शिक्षक ने योग के महत्व विषय पर चर्चा करते हुए छात्रों को बताया कि योग एक ऐसी क्रिया है, जो न सिर्फ मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करती है, बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने में भी सहायक होती है। योग कर कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से निरोगी रह सकता है एवं सफल, स्वस्थ और शांतिपूर्ण तरीके से अपने जीवन का निर्वहन कर सकता है। नियमित रोग करने के कई फायदे हैं। इसलिए अब विश्व भर में योग को खास महत्व दिया जा रहा है।
मानव जीवन में ध्यान की आवश्यकता क्यों? विषय पर बोलते हुए नितिन नायडू ने कहां की यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। ध्यान करने से हम अपने मन- मस्तिष्क को शांति और स्थिरता प्रदान करते हैं। इससे स्ट्रेस कम होता है, और सोचने की क्षमता बढ़ती है। यह हमें अपने जीवन में ज्यादा सकारात्मक, रचनात्मक और सुखमय दृष्टिकोण देता है।
दीक्षारंभ प्रेरण कार्यक्रम के चौथे दिन तकनीकी सत्र के पश्चात नव प्रवेशित छात्र- छात्राओं को विभिन्न विभागों के प्रयोगशालाओं का भ्रमण कर जानकारी दी गई। इस अवसर पर अधिष्ठाता डॉ.आर.के.एस. तिवारी, समस्त प्राध्यापक एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।