बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद क्या वहां की अंतरिम सरकार ने अपनी संप्रभुता के साथ समझौता कर लिया है? यह ऐसा सवाल है जिसे हम नहीं बल्कि वहां की जनता उठा रही है और मोहम्म यूनुस की अंतरिम सरकार सफाई पर सफाई दे रही है. दरअसल, इसी साल अगस्त के पहले सप्ताह में देश मे हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच जब शेख हसीना ने पद छोड़ दिया था. वह अपनी जान बचाने के लिए भारत आ गई. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार ने अमेरिका के साथ अपनी संप्रभुता पर कोई डील नहीं की इसी कारण उनकी सरकार को गिराया गया.
उन्होंने कहा था कि अमेरिका बांग्लादेश के सेंट मार्टिन द्वीप पर सैन्य अड्डा बनाना चाहता था. वह इसे अपने अधीन चाहता था. लेकिन, उनकी सरकार ने ऐसा नहीं किया तो उसे हटाने के लिए साजिश रची गई. हालांकि अमेरिका ने उस वक्त इसका खंडन किया था. ऐसी तमाम रिपोर्ट है जिसमें दावा किया गया है कि अमेरिका हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सैंट मार्टिन द्वीप पर सैन्य अड्डा बनाना चाहता है,
क्या अब हो गई डील?
अब सोशल मीडिया पर रिपोर्ट सामने आ रही है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अमेरिका के साथ डील कर लिया है. फेसबुक पर एक यूजर सुशांत दास गुप्ता ने डील की कथित कॉपी शेयर करते हुए लिखा है कि ‘डील डन सेंट मार्टिन गॉन’. बांग्लादेशी अखबार ढाका ट्रिब्यून ने इस बारे में डिटेल रिपोर्ट पब्लिश की है.
इस पोस्ट के वायरल होने के बाद अंतरिम सरकार सफाई पर सफाई दे रही है. मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस विंग ने कहा है कि इस द्वीप को लेकर वर्षों से बांग्लादेश की सेना और अमेरिकी सेना के बीच बातचीत चल रही है. इसको लेकर बीते साल 14 से 16 अगस्त के बीच सातवें दौर की बातचीत हुई. इस बातचीत को लोकर जो भी पोस्ट वायरल हो रहे हैं वो केवल मीम हैं. ये सभी बातें अफवाह हैं. उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार बार-बार कहती रही है कि सेंट मार्टिन द्वीप को किसी दूसरे देश को सौंपने की कोई योजना नहीं है.
सेंट मार्टिन पर खतरा
अंतरिम सरकार के प्रेस विंग ने एक अन्य फेसबुक पोस्ट में कहा है कि देश के एक मात्र कोरल द्वीप सैंट मार्टिन को तमाम तरह के खतरे झेलने पड़ रहे हैं. एनवायरमेंटल एडवांस नाम की पत्रिका में 15 अप्रैल को छपे एक शोध पत्र में कहा गया कि अनियंत्रित टूरिज्म की वजह से इस द्वीप का तापमान बढ़ रहा है और इससे द्वीप को खतरा पैदा हो गया है. जंगलों की कटाई, प्रदूषण, समंदर के बढ़ते जल स्तर की वजह से ये चुनौती पैदा हुई है. बीते दो माह से इस द्वीप पर एक नई परेशानी दिख रही हैं. यहां खतरनाक व्हाइटफ्लाई का प्रकोप बढ़ गया है. इससे सब्जियां और नायरिल के पेड़ सूख रहे हैं. जानकार चेतावनी दे रहे हैं कि अगर उचित कदम नहीं उठाया गया तो अगले दो दशक में यह द्वीप समंदर में समा जाएगा.