चीन की अर्थव्यवस्था काफी दबाव से गुजर रही है. तभी तो ड्रैगन एक के बाद एक बड़ा राहत पैकेज जारी कर रहा है. पिछले महीने करीब 12 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज देने के बाद अब चीन ने 70.45 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है. चीन की शीर्ष विधायी संस्था नेशनल पीपल्स कांग्रेस ने 8 नवंबर को स्टेट काउंसिल के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी. इसके तहत चीन अपने स्थानीय निकायों को 839 अरब डॉलर (करीब 70.45 लाख करोड़ रुपये) का राहत पैकेज जारी करेगा.
नेशनल पीपल्स कांग्रेस की फाइनेंशियल एवं इकनॉमिक अफेयर्स कमेटी के वाइस चेयरमैन शू हांशी ने बताया कि कर्ज से राहत देने वाले इस पैकेज को 3 साल के लिए लागू किया जाएगा. इससे चीन का ब्याज भुगतान अगले 5 साल में करीब 600 अरब युआन कम हो जाएगा. इसका असर स्थानीय विकास पर दिखेगा और देनदारी कम होने से डेवलपमेंट में तेजी आएगी.
12 लाख करोड़ युआन की राहत
न्यूज एजेंसी एएफपी न्यूज ने इस कदम को चीन का सबसे ताकतवर कर्ज घटाने वाला फैसला करार दिया है. इससे लोकल गवर्नमेंट पर कर्ज का दबाव घटेगा और इकनॉमी के साथ लोगों के जीवन स्तर को सुधारने में भी मदद मिलेगी. इस राहत पैकेज से स्थानीय निकायों की बैलेंस शीट की देनदारी 2028 तक गिरकर सिर्फ 2.3 लाख करोड़ युआन रह जाएगी, जो अभी करीब 14.3 लाख करोड़ युआन है.
अगले साल फिर देंगे राहत पैकेज
चीन की अर्थव्यवस्था इस समय काफी दबाव से गुजर रही है और अमेरिका में ट्रंप की वापसी के बाद उसे टैरिफ बढ़ाए जाने का डर भी सता रहा है. यही वजह है कि चीन के फाइनेंस मिनिस्टर ने अगले साल फिर एक और राहत पैकेज जारी करने का ऐलान कर दिया है, ताकि अर्थव्यवस्था में जान फूंकी जा सके. चीन ने साल 2060 तक अपने देश को कार्बन मुक्त करने का भी लक्ष्य रखा है.
भारत पर क्या असर
चीन अपनी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के बाद बड़े राहत पैकेज जारी कर रहा है, जिसका भारत पर लंबे समय तक तो नहीं लेकिन कुछ समय के लिए असर जरूर दिखेगा. खासकर शेयर बाजार पर इसका असर दिखना तय है. चीन ने पिछला राहत पैकेज जारी किया था, तब वहां के शेयर बाजार ने महज 15 सत्र में ही 123 लाख करोड़ की पूंजी बढ़ा ली थी और भारतीय बाजार में गिरावट दिखी थी. इस बार का राहत पैकेज और बड़ा है, जिससे विदेशी निवेशकों को एक बार फिर भारत के बजाय चीन के बाजार में अवसर दिखेगा और यहां गिरावट का सिलसिला शुरू हो सकता है.