एसेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए 8 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न दाखिल किये गये हैं. इसमें से 74 प्रतिशत करदाताओं ने नई कर व्यवस्था का विकल्प चुना, सूत्रों ने यह जानकारी दी. खास बात है कि इनकम टैक्स की वसूली को लेकर एक और फैक्ट सामने आया है. देश में तीन-चौथाई से अधिक आयकर 50 लाख रुपये से अधिक इनकम वाले करदाताओं से वसूला गया, जबकि पिछले दशक में 20 लाख से कम आय वालों पर कर का बोझ काफी कम हो गया है, जो मीडिल क्लास के लिए एक राहत का संकेत है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. साथ ही इस वर्ष लगभग 75 लाख अद्यतन आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल किये गये हैं. इससे 8,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर प्राप्त हुआ है.
सूत्र ने कहा कि अबतक आठ करोड़ से अधिक व्यक्तियों ने वित्त वर्ष 2023-24 में अर्जित आय के लिए आईटीआर दाखिल किया है. इनमें से 5.92 करोड़ से अधिक लोगों ने नई आयकर व्यवस्था को अपनाया है.
10 लाख कमाने वाले घटे, 50 लाख वाले बढ़े
10 लाख रुपये से कम आय वाले लोगों द्वारा योगदान किए गए कर का हिस्सा भी 2014 में भुगतान किए गए कुल टैक्स भुगतान के 10.17 प्रतिशत से घटकर लगभग 6.22 प्रतिशत हो गया है. वहीं, 50 लाख रुपये से अधिक कमाई वाले वर्ग में व्यक्तियों की कर देनदारी तीन गुना से अधिक बढ़ गई है. “आयकर का लगभग 76 प्रतिशत संग्रह 50 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों से होता है. इससे मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम हुआ है.”
नई कर व्यवस्था को 2023-24 से ‘एक डिफॉल्ट व्यवस्था’ के रूप में निर्धारित किया गया है. यानी करदाता ने अगर नई और पुरानी कर व्यवस्था में से कोई विकल्प नहीं चुना है तो वह स्वत: नई कर व्यवस्था में चला जाएगा. इसका आकलन वर्ष 2024-25 है। हालांकि, करदाता इसे आयकर रिटर्न दाखिल करते समय बदल सकते हैं.
बिना किसी व्यावसायिक आय वाले पात्र व्यक्तियों के पास प्रत्येक वित्त वर्ष में व्यवस्था चुनने का विकल्प होगा. हालांकि, पुरानी व्यवस्था की तरह नई कर व्यवस्था में विभिन्न छूटों और अन्य कटौतियों (वेतन आय और पारिवारिक पेंशन के लिए मानक कटौती के अलावा) का लाभ उपलब्ध नहीं है.