महाराष्ट्र चुनाव में महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की है. महायुति ने महाविकास अघाड़ी को ऐसी पटखनी दी है, जो शरद पवार, राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे लंबे समय तक याद रखेंगे. शरद पवार के राजनीतिक करियर की तो यह सबसे बुरी हार है. महायुति ने न केवल बुरी तरह हराया, बल्कि महाविकास अघाड़ी को कहीं का नहीं छोड़ा है. जी हां. महाराष्ट्र विधानसभा में करीब 60 सालों में पहली बार ऐसा होगा, जब विपक्ष का कोई नेता (LoP यानी लीडर ऑफ अपोजिशन) नहीं होगा. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों से साफ है कि विपक्ष यहां अब लीडर ऑफ अपोजिशन यानी नेता प्रतिपक्ष का भी हकदार नहीं रहा.
दरअसल, कांग्रेस की अगुवाई वाले महाराष्ट्र विकास अघाड़ी में शामिल किसी भी विपक्षी पार्टी को इतनी सीटें नहीं मिली हैं कि वे नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल कर सकें. महाराष्ट्र में महायुति की बंपर जीत ने नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) के लिए महा विकास आघाड़ी के सामने कोई विकल्प नहीं छोड़ा है. महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीट हैं. नेता प्रतिपक्ष के लिए किसी भी पार्टी को टोटल विधानसभा सीट की 10 फीसदी सीट जितनी होती है. शरद पवार, उद्धव ठाकरे या राहुल गांधी की कांग्रेस… किसी के पास यह आंकड़ा नहीं है.
एमवीए में किसके पास कितनी सीट
जी हां, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में महाविकास आघाड़ी की तीन पार्टियों में से एक भी ऐसी पार्टी नहीं है, जो 10 % का आंकड़ा यानी 29 सीट भी जीत पाई हो. महाविकास आघाड़ी में तीन पार्टीयां हैं. उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस. विधानसभा चुनाव के नतीजों के मुताबिक, इस बार उद्धव गुट की शिवसेना ने 20 सीट जीती है. वहीं, कांग्रेस 15 और शरद पवार गुट की एनसीपी सिर्फ 10 सीट पर समिट गई.
नेता प्रतिपक्ष के लिए कितनी सीटों की जरूरत
इस तरह से महा विकास आघाड़ी में किसी भी पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष बनने की न्यूनतम अहर्ता को पार नहीं किया है. इसका मतलब है कि कुल सीटों की 10 फीसदी सीट किसी के पास नहीं है. नेता प्रतिपक्ष के लिए किसी भी पार्टी को 29 सीटों की जरूरत होती है. ऐसे में सवाल है कि क्या महायुति ही किसी को नेता प्रतिपक्ष चुनेगा? जब महाराष्ट्र में महायुति सरकार गठन की तस्वीर साफ होगी और विधानसभा सत्र की शुरुआत होगी तो इस सवाल का जवाब मिल जाएगा.