केंद्र सरकार गेहूं की कीमतों को काबू में रखने के लिए कदम उठा रही है और गेहूं की जमाखोरी रोकने की हर संभव कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में सरकार ने बुधवार (11 दिसंबर) गेहूं के लिए लागू स्टॉक लिमिट में बदलाव किया है. इसके तहत स्टॉक लिमिट में बड़ी कटौती की है. अब होलसेल और रिटेल कारोबारी पहले की तुलना में गेहूं का स्टॉक कम कर पाएंगे.
होलसेल कारोबारियों के लिए स्टॉक लिमिट 2,000 टन से घटाकर 1,000 टन कर दी गई है और रिटेल कारोबारियों के लिए यह लिमिट 10 टन से घटाकर 5 टन कर दी गई है. सरकार के इस कदम से सिस्टम में गेहूं की सप्लाई बढ़ेगी और इससे कीमतों के नियंत्रण में बने रहने की उम्मीद है. फिलहाल गेहूं की बुवाई चल रही है और नई फसल मार्च में आने लगती है. ये लिमिट भी मार्च तक के लिए है.
जमाखोरी रोकने के लिए घटाई गई स्टॉक लिमिट
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक, स्टॉक लिमिट घटाने का मकसद जमाखोरी को रोकना है, जिससे पर्याप्त गेहूं उपलब्ध होने के बावजूद कीमतें बढ़ जाती हैं. सरकार की ओर कहा गया कि गेहूं का भंडार करने वाली संस्थाओं को गेहूं स्टॉक लिमिट पोर्टल (evegoils.nic.in/wsp/login) पर रजिस्ट्रेशन करना होगा.
हर शुक्रवार को स्टॉक की जानकारी अपडेट करना जरूरी
मंत्रालय के मुताबिक, हर शुक्रवार को स्टॉक की जानकारी अपडेट करना जरूरी है. अगर कोई कंपनी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करती है या स्टॉक लिमिट नियमों का उल्लंघन करती है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. अगर कोई संस्था तय लिमिट से ज्यादा गेहूं जमा करती है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 15 दिन के अंदर नई स्टॉक लिमिट को मेंटेन करना होगा.