बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद वहां बनी मोहम्मद यूनुस की कामचलाऊ सरकार लगातार ही भारत विरोधी रुख दिखा रहा है. अब वहां की एक हाईकोर्ट ने भारत के कुख्यात चरमपंथी और उल्फा नेता परेश बरुआ की मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया है. कोर्ट ने इसके साथ पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी संगठन को हथियारों की तस्करी के मामले में एक पूर्व जूनियर मंत्री और पांच अन्य को बरी भी कर दिया.
यह मामला भारत विरोधी आतंकवादी संगठनों को भेजे जा रहे हथियारों और गोला-बारूद से जुड़ा हुआ है. सुरक्षा बलों ने अप्रैल 2004 में चटगांव के रास्ते 10 ट्रकों में भरकर भेजे जा रहे हथियार जब्त किए थे. इनमें 27,000 से अधिक ग्रेनेड, 150 रॉकेट लॉन्चर, 11 लाख से अधिक गोला-बारूद, 1100 सब मशीन गन और 1.14 करोड़ कारतूस शामिल थे.
एक सरकारी वकील ने बताया कि हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने उल्फा नेता परेश बरुआ की को सुनाई गई मौत की सजा को कमकर आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया. बरुआ इस सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर भी नहीं हुआ था. माना जा रहा है कि वह इस समय चीन में है.
वकील ने बताया कि हाईकोर्ट की जस्टिस मुस्तफा जमान इस्लाम और जस्टिस नसरीन अख्तर की पीठ ने पूर्व गृह राज्यमंत्री लुत्फुज्जमां बाबर और छह अन्य को बरी कर दिया, जिन्हें पहले फांसी की सजा सुनाई गई थी.
फांसी की सजा से बचने वाले पांच अन्य लोगों में पूर्व महानिदेशक, सैन्य खुफिया बल (डीजीएफआई) के रिटायर्ड मेजर जनरल रज्जाकुल हैदर चौधरी, सरकारी उर्वरक संयंत्र (सीयूएफएल) के पूर्व प्रबंध निदेशक मोहसिन तालुकदार, इसके महाप्रबंधक इनामुल हक, उद्योग मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्त सचिव नूरुल अमीन और जमात-ए-इस्लामी नेता मोतीउर रहमान निजामी शामिल हैं. कहा जाता है कि संयंत्र स्थल का उपयोग उल्फा के लिए हथियारों के परिवहन के वास्ते किया जाता था.