Home छत्तीसगढ़ बच्चों अपनी सेहत, शिक्षा, हुनर, खेलकूद, कौशल, लगन, संस्कार से छत्तीसगढ़ का...

बच्चों अपनी सेहत, शिक्षा, हुनर, खेलकूद, कौशल, लगन, संस्कार से छत्तीसगढ़ का पहचान बनाए-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

0

नदियों, पहाड़ों, खेतों, खलिहानों, जंगलों, मैदानों के साथ ही इस देश
के करोड़ों बेटे-बेटियां ही भारतमाता हैं

मुख्यमंत्री ने चाचा नेहरू के बाल प्रेम के रोचक और ज्ञानवर्धक प्रसंगों के बारे में बच्चों  को बताया

उत्तर बस्तर कांकेर 08 नवंबर 2020 

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी के 12वीं कड़ी का प्रसारण कांकेर विकासखण्ड ग्राम पंचायत सिदेसर में सामूहिक श्रवण किया गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने “बालक-बालिकाओं की पढ़ाई, खेलकूद, भविष्य आदि“ विषय पर प्रदेशवासियों से साझा किये।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि बच्चों की अच्छी सेहत, उनकी बेहतर शिक्षा, हुनर विकसित करने, खेल कौशल को उत्कृष्ट बनाने के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं, इसके साथ ही साथ छत्तीसगढ़ की   संस्कृति को सहेजने और उसके संवर्धन, संरक्षण के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने प्रदेशवासियों को इस माह की 14 तारीख को दीवाली पर्व सहित इससे जुड़े गौरी-गौरा, गोवर्धन पूजा, मातर, भाईदूज, देवउठनी एकादशी, कार्तिक पूर्णिमा का मेला जिसे पुन्नी मेला भी कहा जाता है, पर्वों की बधाई और शुभकामनाएं दिये। मुख्यमंत्री ने चाचा नेहरू के खादी और गुलाब के फूल के प्रति प्रेम के बारे में कहा कि नेहरू जी विदेश से पढ़ाई कर लौटने के बाद जल्दी ही गांधी जी के सम्पर्क में आ गए थे, गांधी जी की प्रेरणा से वे देशप्रेम, त्याग, सादगी और आजादी की लड़ाई का महत्व समझ गए और गांधी जी की तरह खादी के कपड़े पहनने लगे, उनकी बेटी इंदिरा जी बगीचे से एक ताजा गुलाब का फूल तोड़कर नेहरू जी के कुर्ते में लगाने लगी तो उन्होंने इस भावना और प्यार को सहेजते हुए गुलाब फूल को बच्चों के प्रेम का प्रतीक बना लिया, नेहरू जी बच्चों में देश का भविष्य देखते थे।  मुख्यमंत्री ने कहा कि पंडित नेहरू से जब पूछा जाता था कि भारतमाता कौन है, तब वे कहते थे कि नदियों, पहाड़ों, खेतों, खलिहानों, जंगलों, मैदानों के साथ ही इस देश के करोड़ों बेटे-बेटियां ही भारतमाता हैं। नेहरू जी बहुलतावादी समाज व्यवस्था पर विश्वास करते थे अर्थात विविधता में एकता ही हमारी ताकत है। देश का हर व्यक्ति, जाति, धर्म से परे हटकर एकजुट हो और सब अपने भीतर भारत को महसूस करें, उसे ही जियें।  मुख्यमंत्री ने कहा कि करीब 73 साल पहले तक हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था, सोचिए 200 साल की गुलामी में हमारे पुरखों की जिन्दगी कैसी रही होगी, आजादी की लड़ाई के लिए जनता को संगठित करने, लड़ाई का नेतृत्व करने वाले लोगों में पंडित जवाहर लाल नेहरू अग्रणी नेताओं में शामिल थे, वे 14 नवम्बर 1889 को जन्मे पंडित जवाहर लाल नेहरू 28 वर्ष की उम्र में अर्थात 1917 में राजनीति में आ गए थे और 1922 में पहली बार जेल गए। अंग्रेजों ने 1922 से लेकर 1945 तक नेहरू जी को 9 बार जेल भेजा। सबसे कम 12 दिन और सबसे ज्यादा 1041 दिन अर्थात एक बार में वे पौने तीन साल से अधिक समय तक भी जेल में रहे। उन्होंने अपनी जिंदगी के करीब 9 बरस अंग्रेजों की जेल में काटे। जेल में उनके द्वारा लिखी गई किताबें दुनिया के महान साहित्य में शामिल हुई हैं।         मुख्यमंत्री ने चाचा नेहरू के बाल प्रेम के रोचक और ज्ञानवर्धक प्रसंगों के बारे में बच्चांे को बताया कि पंडित जवाहर लाल नेहरू आजादी के आंदोलन के दौरान कितने जोखिम और कितनी परेशानियों से घिरे रहते थे, लेकिन इसके बीच में उन्होंने अपनी बेटी से पत्र के माध्यम से बातचीत जारी रखी। पंडित नेहरू की इकलौती बेटी थीं श्रीमती इंदिरा गांधी, जिन्हें 11 वर्ष की उम्र में बोर्डिंग स्कूल पढ़ने भेजा गया था। नेहरू जी को विभिन्न विषयों का गहरा ज्ञान था जिसे वे अपनी बेटी को देना चाहते थे। वर्ष 1928 में लिखे पत्रों में नेहरू जी का इतिहास और प्रकृति प्रेम बहुत खूबसूरती से उजागर होता है। नेहरू जी की किताब ‘पुत्री के नाम पत्र‘ के रोचक पहलुओं के बारे में जानकारी दी गई है।  मुख्यमंत्री ने पालकों से अपील करते हुए कहा कि आपके पास साधन सीमित हांे, लेकिन जब आपके बच्चों का हाथ किसी की मदद के लिए आगे बढ़ता है तो उसे रोकें नहीं। थोड़ी-बहुत कमी-बेसी को परिस्थितियों के अनुसार समझें और उसके अनुरूप निर्णय लें, लेकिन बच्चों की यह भावना जिन्दा रहे और उन्हें इस सुख का एहसास हो, यह वातावरण बनाए रखना बहुत जरूरी है। बच्चों में करुणा होगी तो समाज भी बहुत खूबसूरत होगा। मुख्यमंत्री ने बच्चों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब में बताया कि छत्तीसगढ़ में कक्षा 12वीं तक निःशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। खेलों के संबंध में मुख्यमंत्री ने बताया कि नारायणपुर जिले में खेलो इंडिया केन्द्र प्रारंभ करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है। मल्लखम्भ अकादमी के लिए भूमि उपलब्ध कराकर आवश्यक सामग्रियों की व्यवस्था करायी जा रही है। मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि बच्चों की सेहत और ये खुशी देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा, खिलखिलाता हुआ बचपन हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। हम चाहेंगे कि छत्तीसगढ़ के बच्चे अपनी सेहत, शिक्षा, हुनर, खेलकूद के कौशल, लगन, संस्कार के लिए अलग से पहचान बनाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोनाकाल में हम स्कूलों में बच्चों को सूखा राशन दे रहे थे और आंगनबाड़ियों में हमने गर्म खाना देना शुरू किया है। इस दिशा में हमारी योजनाएं और नवाचार लगातार जारी रहेंगे। एक बार फिर दीपावली और बाल दिवस की शुभकामनाएं दी।
    लोकवाणी कार्यक्रम में हायर सेकेण्डरी स्कूल सिदेसर के प्राचार्य श्री रोशन वर्मा ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को ईसेंटियल अंगेजी ग्रामर का किताब निःशुल्क वितरण किया। इस अवसर पर सरपंच सिदेसर श्रीमती प्रजा दुग्गा, करारोपण अधिकारी आरएस राठौर, सचिव चिंताराम यादव, विजय रामटेके, शिक्षकगण अनिता पाण्डेय, सुनिता उपाध्याय, सीमा चतुर्वेदी, मनिता सलाम, प्रजना शेखानी, सविता मण्डावी, रूबिना तारामूम, किर्तिसागर पटेल, सत्यनारायण जैन, हेमेन्द्र साहसी, सुब्रत दत्त, शांति रंगोर, ज्ञानेशबंधु आर्य, खम्मन साहू सहित ग्रामीणजन और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।