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‘दूसरा आतंकिस्तान न बने बांग्लादेश’, जयशंकर ने यूनुस के दूत को एक लाइन में सब समझा दिया

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले दिनों बांग्लादेश से दो टूक कहा कि वह अपनी धरती को आतंकवाद का अड्डा न बनने दे. मस्कट में 8वें हिंद महासागर सम्मेलन के दौरान जयशंकर ने बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से मुलाकात की थी. 17 फरवरी को हुई मुलाकात के बारे में, विदेश सचिव रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार (21 फरवरी) को वीकली ब्रीफिंग में बताया. जायसवाल के अनुसार, जयशंकर ने बांग्लादेश को दो टूक संदेश दिया कि ‘आतंकवाद को सामान्य नहीं बनाना चाहिए.’ बैठक के दौरान SAARC को लेकर भी चर्चा हुई. जायसवाल ने कहा, ‘बांग्लादेश की तरफ से यह मुद्दा उठाया गया था. दक्षिण एशिया में हर कोई जानता है कि कौन-सा देश और उसकी कौन-सी गतिविधियां SAARC को प्रभावित कर रही हैं.’

SAARC पर भारत का रुख

भारत लंबे समय से SAARC को लेकर सतर्क रहा है. पाकिस्तान की भूमिका के कारण यह संगठन वर्षों से निष्क्रिय है. भारत का ध्यान अब BIMSTEC जैसे संगठनों को मजबूत करने पर है. बांग्लादेश SAARC को फिर से सक्रिय करना चाहता है, लेकिन भारत का साफ संदेश है, ‘आतंकवाद को सामान्य मत बनाइए.’ जयशंकर के इस बयान से साफ है कि जब तक आतंकवाद का मुद्दा हल नहीं होता, SAARC का पुनरुद्धार मुश्किल रहेगा.

बांग्लादेश में लगातार बढ़ रहा तनाव

बांग्लादेश में पिछले साल राजनीतिक उथल-पुथल के बाद सत्ता परिवर्तन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को हिंसक छात्र आंदोलनों के कारण पद छोड़ना पड़ा था, और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी. हसीना के हटने के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले बढ़े. मंदिरों और हिंदू समुदाय पर हुए हमलों से नई दिल्ली में गहरी चिंता बनी हुई है.

भारत और बांग्लादेश के बीच 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा है. कुल 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पांच राज्यों-पश्चिम बंगाल (2,217 किलोमीटर), त्रिपुरा (856 किलोमीटर), मेघालय (443 किलोमीटर), असम (262 किलोमीटर) और मिजोरम (318 किलोमीटर) तक फैली हुई है. हाल के दिनों में सीमा पर भी अशांति देखी गई है. दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों के महानिदेशकों की बैठक 18-20 फरवरी को नई दिल्ली में हुई.