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भारत का चीन से वस्तुओं का आयात फरवरी 2025 में ही 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है और पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में यह रिकॉर्ड 101.73 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है. यह वृद्धि चीन से आयात में हो रही दो अंकों की वृद्धि और मार्च 2025 तक अपेक्षित शिपमेंट्स के कारण हो रही है. भारत-चीन व्यापार संतुलन लगातार चीन के पक्ष में झुक रहा है क्योंकि भारत से चीन को निर्यात घट रहा है, जबकि भारत का चीन से आयात तेजी से बढ़ रहा है. इससे दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा भी तेजी से बढ़ रहा है. वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि भारत चीन से जो उत्पाद आयात कर रहा है, वे ज्यादातर कच्चे माल या मध्यवर्ती इनपुट होते हैं जो ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को सहयोग देते हैं.
मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों (अप्रैल 2024-जनवरी 2025) में चीन से कुल आयात 95.01 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 85.91 अरब डॉलर की तुलना में 10.6% अधिक है. जनवरी 2025 में चीन से आयात 10.48 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो पिछले साल की तुलना में 17% अधिक है.
निर्यात में गिरावट
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2024-जनवरी 2025 के दौरान भारत से चीन को निर्यात 14.85% घटकर 11.48 अरब डॉलर रह गया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 13.48 अरब डॉलर था. जनवरी 2025 में भारत का चीन को निर्यात सिर्फ 483 मिलियन डॉलर रहा, जो जनवरी 2024 के 1.54 अरब डॉलर के मुकाबले 31% की गिरावट को दर्शाता है. भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 10 महीनों में 83.52 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो 2023-24 के पूरे वित्त वर्ष के घाटे (85.06 अरब डॉलर) के लगभग बराबर है.
भारत के मुख्य आयात और निर्यात
भारत चीन से मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कंप्यूटर हार्डवेयर, टेलीकॉम इंस्ट्रूमेंट्स, डेयरी मशीनरी, ऑर्गेनिक केमिकल्स, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, प्लास्टिक कच्चा माल और फार्मास्युटिकल सामग्री का आयात करता है. वहीं, भारत चीन को लौह अयस्क, समुद्री उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पाद, ऑर्गेनिक केमिकल्स, मसाले, अरंडी का तेल और टेलीकॉम उपकरण का निर्यात करता है.
चीन से आयात बढ़ने का कारण
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “चीन से आयातित अधिकांश वस्तुएं पूंजीगत और मध्यवर्ती सामान हैं, जैसे कि दवा निर्माण के लिए सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (API), ऑटो कंपोनेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स और मोबाइल फोन कंपोनेंट्स, जिनका उपयोग भारत में तैयार उत्पादों के निर्माण और निर्यात के लिए किया जाता है.”
भारत का व्यापार घाटा बढ़ा
अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक भारत का कुल माल निर्यात 1.39% बढ़कर 358.91 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 7.43% बढ़कर 601.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान व्यापार घाटा 242.99 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 206.29 अरब डॉलर था.
विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये की डॉलर के मुकाबले कमजोरी ने भारत के व्यापार संतुलन को और बिगाड़ दिया है. खासकर पेट्रोलियम आयात में 6.42% की वृद्धि हुई, जिससे यह 154.83 अरब डॉलर तक पहुंच गया. चूंकि भारत 87% से अधिक कच्चा तेल आयात करता है और भुगतान डॉलर में करता है, इसलिए व्यापार घाटे में और वृद्धि देखी जा रही है.