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क्यों बुरी तरह टूट रहे सरकारी कंपनियों के शेयर, 24 लाख करोड़ का नुकसान, 60% तक गिरे

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शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला थम नहीं रहा है. पिछले 4 महीनों में ऐसा कोई शेयर नहीं बचा जहां बिकवाली हावी नहीं हुई. मार्केट में जारी इस मंदी के चलते सरकारी कंपनियों के शेयरों की भी जबरदस्त पिटाई हुई है. नौबत यहां तक आ गई है कि बीएसई के कुल बाजार पूंजीकरण में लिस्टेड सरकारी कंपनियों के शेयरों की हिस्सेदारी 15 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. दरअसल, फरवरी तक, पीएसयू शेयरों की हिस्सेदारी सभी बीएसई-सूचीबद्ध फर्मों के कुल बाजार पूंजीकरण का 14.61 प्रतिशत थी – जो नवंबर 2023 के बाद से सबसे कम है, और मई 2024 में रिकॉर्ड स्तरों से 17.77 प्रतिशत नीचे है.

फरवरी में बीएसई पर लिस्टेड 103 सरकारी कंपनियों का ज्वाइंट मार्केट कैपिटलाइजेशन 57.43 लाख करोड़ रुपये रहा, जो जुलाई में अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 81.38 लाख करोड़ रुपये से 24 लाख करोड़ रुपये कम है. इसकी तुलना में, जनवरी में उनका कुल बाजार पूंजीकरण 64.88 लाख करोड़ रुपये और दिसंबर में 66.34 लाख करोड़ रुपये था.

60 फीसदी से ज्यादा की गिरावट

इन 103 लिस्टेड पीएसयू फर्मों में से सात कंपनियों के शेयरों में 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर से 60 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है, जबकि 28 में 50 से 59 प्रतिशत के बीच करेक्शन हुआ है. अन्य 34 फर्मों में 40 से 50 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है, और 32 कंपनियों के शेयरों में 20 से 40 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है.

सरकारी कंपनियों के शेयरों में लगातार बिकवाली पर एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही की कमजोर आय और हायर वैल्युएशन के कारण पीएसयू शेयरों पर दबाव है. डिफेंस और रेलवे कंपनियों में कम ऑर्डर फ्लो ने ग्रोथ को लेकर चिंताएं जाहिर की हैं.

इन कारणों से कई वर्षों के बाद सरकारी कंपनियों के शेयरों में मुनाफावसूली तेज हो गई है. हालांकि, कुछ पीएसयू शेयर मजबूत बने हुए हैं. खासकर, बैंकिंग, आईटी और कंस्प्शन में प्राइवेट सेक्टर के शेयरों की ओर रुझान ने पीएसयू शेयरों को लेकर निवेशकों का इंटरेस्ट कम कर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार के कमजोर सेंटिमेंट के कारण गिरावट का जोखिम बना हुआ है.

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