

भारतीय शेयर बाजार में कल यानी मंगलवार को जोरदार तेजी देखने को मिली. सेंसेक्स 1,131.31 अंकों या 1.52% की बढ़ोतरी के साथ 75,301.26 के लेवल पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 325.55 अंकों या 1.45% के उछाल के साथ 22,834.30 के लेवल पर क्लोज हुआ. सभी सेक्टरोल इंडेक्स भी अच्छी बढ़त के साथ बंद हुए. ऑटो और फाइनेंशियल शेयरों में सबसे ज्यादा खरीददारी देखने को मिली. दरअसल, बाजार में आई इस तेजी के पीछे एक महीने बाद विदेशी निवेशकों की बाजार में की गई शुद्ध खरीदारी का हाथ रहा. लगातार बिकवाल बने रहे एफआईआई और एफपीआई ने मंगलवार को अपना मूड चेंज किया.
एनएसई के डेटा के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII/FPI) के साथ ही घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने भी अच्छी खरीदारी की. एफपीआई और एफआईआई ने ₹15,709.88 करोड़ की खरीदारी की और ₹15,015.31 करोड़ की बिकवाली की. इस तरह से उन्होंने नेट खरीदारी ₹694.57 करोड़ रही. घरेलू संस्थागत निवेशकों ने ₹12,333.09 करोड़ की खरीदारी की, जबकि उन्होंने ₹9,798.34 करोड़ की बिकवाली की, जिससे उनकी नेट खरीददारी ₹2,534.75 करोड़ रुपये की रही है.
विदेशी निवेशकों की बिकवाली
अभी तक मार्च महीने में 11 ट्रेडिंग सेशन्स हुए हैं, जिनमें विदेशी निवेशकों ने कैश मार्केट में कुल 25,024 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. फरवरी के महीने की बात करें तो उसमें विदेशी निवेशकों ने कुल 259,256.89 करोड़ रुपये की खरीददारी की थी और 318,244.97 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. इस तरह उनकी शुद्ध बिकवाली 58,988.08 करोड़ रुपये रही. फरवरी की तुलना में मार्च में विदेशी निवेशकों ने कम बिकवाली की है.
साल 2025 में आठ मार्च तक ही एफआईआई 1.61 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए. वहीं इस अवधि में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 1.72 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे. घरेलू संस्थागत निवेशक अगर बाजार में खरीदार न बने रहते तो बाजार की और भी बुरी गत होती. विदेशी निवेशको के लिए अब चीन का बाजार ज्यादा आकर्षक हो गया है. विदेशी निवेशक इस समय ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो’ की नीति अपना रहे हैं. अक्तूबर 2024 के बाद से जहां भारतीय बाजार का मार्केट कैप में कमी आई है, वहीं चीन का मार्केट कैप बढ़ा है.