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कैसे बनते हैं साहिल और मुस्कान जैसे कातिल, क्यों चलता है इस दिशा में दिमाग? मनोवैज्ञानिक ने खोले राज!

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मेरठ का सौरभ हत्याकांड देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके साथ ही देश में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें रिश्तों की डोर कमजोर होती दिख रही है. इसी मुद्दे को ध्यान में रखते हुए लोकल-18 की टीम ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार से खास बातचीत की. उन्होंने बदलते समाज में मानव व्यवहार और उसके प्रभावों पर चर्चा की.

बचपन में व्यवहार पर नजर रखना जरूरी
प्रोफेसर संजय कुमार ने सौरभ हत्याकांड पर बात करते हुए कहा कि इस निर्मम हत्या का एक बड़ा कारण नशा हो सकता है. बिना नशे की स्थिति में कोई व्यक्ति इस तरह की घटना को अंजाम नहीं दे सकता. उन्होंने यह भी बताया कि बचपन से ही बच्चों के व्यवहार की सही मॉनिटरिंग बेहद जरूरी है. अगर माता-पिता इसे नजरअंदाज करते हैं, तो वे धीरे-धीरे रिश्तों से दूर होते जाते हैं और अंततः रिश्तों की अहमियत को भूल जाते हैं. यही वजह है कि आगे चलकर वे आपराधिक प्रवृत्ति की ओर बढ़ सकते हैं.

माता-पिता रिश्तों की अहमियत सिखाएं
प्रोफेसर संजय कुमार का कहना है कि बच्चों को रिश्तों की अहमियत समझाना माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. पहले संयुक्त परिवारों में बच्चे चाचा-चाची, ताऊ-ताई, दादा-दादी के महत्व को समझते थे. लेकिन आज के दौर में एकल परिवारों के चलते माता-पिता भी व्यस्त होते जा रहे हैं. ऐसे में युवा सोशल मीडिया पर अपना भविष्य तलाशने लगे हैं. सोशल मीडिया पर दिखने वाली चीजों से वे खुद को जोड़ने लगते हैं, जो उनके लिए घातक साबित हो सकता है.

सोशल मीडिया का रोमांच बिगाड़ रहा भविष्य
उन्होंने आगे कहा कि मेरठ की घटना अकेली नहीं है, बल्कि बदलते दौर में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां युवा सोशल मीडिया के रोमांच के चक्कर में अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं. रेल की पटरी, ऊंची पहाड़ी, झरने आदि पर खतरनाक स्टंट करते हुए रील्स बनाना उनके लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की बढ़ती दखलंदाजी युवाओं के भविष्य को बर्बाद कर रही है. इसे रोकने में माता-पिता और शिक्षकों की अहम भूमिका हो सकती है.

देखा था गलत कंटेंट
गौरतलब है कि सौरभ हत्याकांड में भी सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव का जिक्र हो रहा है. चर्चाओं के अनुसार, साहिल और मुस्कान ने सोशल मीडिया पर मौजूद कई गलत कंटेंट का अध्ययन किया था. इससे साफ जाहिर होता है कि सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल अब लोगों की जान के लिए भी खतरा बनता जा रहा है.

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