बिलासपुर, 13 दिसम्बर | Parsa Coal Block : हाई कोर्ट ने परसा कोल ब्लाक भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। प्रभावित आदिवासियों की याचिका में बताया है कि राजस्थान विद्युत मण्डल के कोल ब्लाक में खनन कार्य अडानी कम्पनी करेंगी। इस कारण कोल इडिया जैसी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया नहीं अपनाई जा सकती।
सरगुजा और सुरजपुर स्थित परसा कोल ब्लाॅक के भूमि अधिग्रहण को हरिहरपुर साल्ही और फतेपुर गांव के निवासी मंगल साय, ठाकुर राम, आनंद राम, पनिक राम और मोतीराम ने याचिका लगाकर चुनौती दी थी।
इस मामले में 9 अप्रैल 2021 को राज्य शासन और केन्द्र सरकार पर (Parsa Coal Block) नोटिस तामील हो चुका था परन्तु सोमवार को सुनवाई होने के दौरान तक केन्द्र सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया।जबकि बीते 27 अक्टूबर की अन्तिम सुनवाई में उन्हें 6 सप्ताह का समय अन्तिम रूप से दिया गया था।
1957 से 2017 तक 60 वर्ष इस अधिनियम का उपयोग कर किसी राज्य सरकार और निजी कंपनी के हित में जमीन अधिग्रहण नहीं किया गया है । गौरतलब है कि यह अधिनियम केवल केन्द्र सरकार की कंपनियों कोल इंडिया आदि के लिए उपयोग किया जाता रहा है।
अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और संदीप दुबे द्वारा दाखिल इस याचिका में यह कहा गया है कि इस अधिनियम में कोल धारित भूमि अधिग्रहण के लिये जो प्रक्रिया निर्धारित की गई है , उसका भी उल्लंघन किया गया है।
2006 में वन अधिकार कानून और 1996 में पेसा एक्ट लागू हो जाने के बाद अनुसूचि पांच क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के पूर्व आवश्यक ग्राम सभाओं के नकली प्रस्ताव बनाकर भूमि अधिग्रहण प्रकरण में लगाये गये है जबकि ग्राम सभाएं इसके विरोध में है।
लगातार कई ज्ञापन देकर प्रभावित व्यक्तियों ने फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताओं की जांच की मांग कलेक्टर और मुख्यमंत्री से की है। परन्तु इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
इसके साथ-साथ याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया है के अधिग्रहण (Parsa Coal Block) से संबंधित धारा 4 एवं धारा 7 की अधिसूचनाएं प्रभावित व्यक्तिओं को समय रहते उपलब्ध नहीं कराई गई।
इसके बावजूद प्रभावित व्यक्तियों के द्वारा जो आपत्तियां कोल कंट्रोलर को भेजी गई उसमें न तो सुनवाई का अवसर दिया गया और न हीं उनकी आपत्तियों का निराकरण किया गया।
हाल ही में आदिवासियों की एक बड़ी पद यात्रा सरगूजा क्षेत्र से रायपुर तक की गई थी और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने परसा कोल ब्लाॅक के लिये फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताओं बनाने की शिकायतों पर संज्ञान लेकर उन्हें राज्य सरकार तक भेजा था।
आज राज्य सरकार के द्वारा उत्तर प्रस्तुत कर दिया गया है और मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।