जांजगीर-चांपा के मालखरौदा विकासखंड के गांव पिहरीद में बोरवेल में फंसे बालक राहुल साहू के रेसक्यू अॉपरेशन में एक के बाद एक नयी-नयी बाधाएं आ रहीं हैं। इसके बावजूद हर चुनौती को पार करते हुए रेसक्यू टीम 60 फीट नीचे बोरवेल के सामानांतर खोदे गये गड्ढे में सुरंग तैयार करती हुई धीरे-धीरे राहुल के करीब बढ़ रही है। इस कठिन अॉपरेशन में राहुल का हौसला और रेसक्यू टीम का संयम अॉपरेशन को ताकत दे रहा है।
पिहरीद में चार दिन पहले एक बालक के बोरवेल में गिरकर फंसे होने की सूचना मिलते ही प्रशासन ने बचाव कार्य शुरू कर दिया था। पुलिस, पीडब्लूडी, विद्युत, चिकित्सा, राजस्व सहित सभी विभागों का प्रशासनिक अमला इस काम में झोंक दिया गया। मौके के हालात और राहुल की अवस्था को देखते हुए सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी बुला ली गईं। बाद में एसईसीएल की टीम और खनन कार्य के अन्य विशेषज्ञों को भी रेसक्यू के लिए उतार दिया गया। रस्सी के सहारे रेसक्यू की कोशिशें नाकाम होने के बाद गुजरात से रोबेट विशेषज्ञ को बुलाया गया, लेकिन राहुल की मानसिक अवस्था और बोर के भीतर की चट्टानों के कारण यह कोशिश भी सफल नहीं हो पाई। इस बीच मौसम का बदलाव भी चिंता बढ़ाता रहा। बोरवेल के भीतर बढ़ते जल स्तर ने नया खतरा निर्मित कर दिया, इससे निपटने के लिए गांव के सभी बोरवेल को चौबीसों घंटे चालू रखने के निर्देश दिए गए। समय बीतने के साथ राहुल के स्वास्थ्य की बढ़ती चिंता को देखते हुए मेडिकल टीमों को सभी आपात सुविधाओं के साथ तैनात किया गया। बोरवेल के समानांतर गड्ढे में मिट्टी और पत्थर दोनों की अधिकता की वजह से 60 फीट की गहराई में खोदी जाने वाली पतली सुरंग के धसकने के खतरे को देखते हुए विशेषज्ञों ने सुरंग में लोहे की पाइप डालकर आगे बढ़ने का निर्णय लिया। जब सुरंग तैयार होने लगी तो रास्ते मे आ रहे पत्थर और कड़ी चट्टानें बाधा बन गईं। बिलासपुर से बड़ी ड्रिल मशीनें मंगाई गईं। इसी दौरान चट्टानों और पत्थरों की दरारों में सांप-बिच्छुओं की आशंका ने नयी चुनौती निर्मित कर दी। प्रशासन ने इसके लिए सर्प विशेषज्ञों की तैनाती कर दी और एंटी-वेनम की व्यवस्था भी मौके पर ही कर दी गई। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक रेसक्यू टीम संयम और सफलता के साथ धीरे-धीरे राहुल के करीब बढ़ रही है। राहुल का हौसला भी बरकरार है।