ग्रामीण महिलाओं को गौठानों में संचालित आजीविका गतिविधियों से आर्थिक रूप से सशक्त होने का नया जरिया मिला है। महिलाओं को समूह के माध्यम से एक ही समय में एक से अधिक कार्य करके आर्थिक मजबूती प्राप्त करने का रास्ता गौठानों ने बखूबी दिखाया है। जिले में 201 गौठानों में 316 स्व सहायता समूह की 3 हजार 160 महिलाएं आर्थिक रूप से स्वावलम्बी हो गई है एवं अन्य महिलाओं को भी इस दिशा में प्रेरित कर रही है। गौठानों में वर्मी खाद उत्पादन, सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, बत्तख पालन, मछली पालन जैसी अन्य गतिविधियां संचालित है। स्व सहायता समूह की महिलाओं को इन गतिविधियों से जुड़कर 54 लाख 68 हजार रूपए की आमदनी हो चुकी है।
जिले में गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सामुदायिक बाड़ी, मशरूम उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, गोबर दिया, गोबर गमला, अगरबत्ती, साबुन निर्माण सहित करीब 15 गतिविधियां संचालित की जा रही है। जिले में गौठानों के माध्यम से 2 लाख 18 हजार 255 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। 65 हजार 536 क्विंटल वर्मी खाद बनाया गया है एवं 58 हजार 338 क्विंटल वर्मी खाद की बिक्री की गई है। खाद की बिक्री से स्व सहायता समूह की महिलाओं को 1 करोड़ 52 लाख की आमदनी हो चुकी है।
गौठानों को मल्टीएक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक स्व सहायता समूहों का आजीविका के क्षेत्र में बेहतर विकास किया जा सके।