उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कहा है कि बीमा कंपनी (Insurance Company) से अपने ग्राहक के साथ अच्छी भावना के साथ और ईमानदारी से काम करने की उम्मीद की जाती है, न कि वह केवल अपने लाभ के बारे में सोचे. जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार ने एक बीमा कंपनी की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए कहा कि यह बीमा कानून का मूल सिद्धांत है कि अनुबंध करने वाले पक्षों के बीच अच्छी भावना हो.
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बीमित और बीमा करने वाली कंपनी का कर्तव्य है कि वह अपनी जानकारी के मुताबिक सभी तथ्यों को बताए. पीठ ने कहा, ‘विशेष परिस्थितियों में, संभावित नुकसान का बीमाधारक को क्षतिपूर्ति करने की एक बीमा कंपनी से अपेक्षा की जाती है. साथ ही, वह (बीमा कंपनी) अपने वादे को सही भावना के साथ और निष्पक्ष तरीके से पूरा करे, न कि केवल अपने स्वयं का मुनाफा देखे और अपने हितों की पूर्ति करे.’
45.18 लाख रुपये की राशि छह सप्ताह के भीतर ब्याज के साथ अदा करने का आदेश
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के एक आदेश के खिलाफ इस्नार एक्वा फार्म्स की याचिका पर आदेश जारी करते हुए न्यायालय ने यह टिप्पणी की. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि बीमा कंपनी, बीमित कंपनी को 45.18 लाख रुपये की राशि छह सप्ताह के भीतर शिकायत की तारीख से 10 प्रतिशत के साधारण ब्याज के साथ अदा करे.