केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए शुक्रवार को लोकसभा में 3 ऐतिहासिक विधेयक पेश किए. ये विधेयक संसद से पारित होने के बाद वर्तमान में चल रहे भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे. अमित शाह ने लोकसभा में इन्हें पेश करते हुए कहा कि नए विधेयकों के साथ सरकार का लक्ष्य ‘न्याय सुनिश्चित करना है, दंड देना नहीं.’ केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को आगे की जांच परख के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा.
गृह मंत्री शाह ने कहा, ‘मौजूदा कानूनों का ध्येय ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना और उसे मजबूत करना था. इन कानूनों का मूल विचार दंड देना था न कि न्याय सुनिश्चित करना. उनकी जगह ये तीन नए कानून लेंगे, जिनमें मूल भावना भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना होगी और उन्हें न्याय दिलाना होगा, न की दंड सुनिश्चित करना.’ इसके साथ ही अमित शाह ने कहा कि नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. उन्होंने बताया कि नए कानूनों में बलात्कार पर 20 साल की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है. वहीं नाबालिग से बलात्कार पर मृत्यु दंड का प्रावधान है.
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध को (प्रचलित कानूनों में) 302वां स्थान दिया गया है, इसके बावजूद की कोई अन्य अपराध इससे अधिक जघन्य नहीं हो सकता. हम इस दृष्टिकोण को बदल रहे हैं, और प्रस्तावित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में पहला अध्याय अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित सजा के प्रावधानों पर होगा. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि कन्विक्शन रेश्यो को 90% से ऊपर ले जाना है. इसीलिए, हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लेकर आए हैं कि जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक जेल की सजा का प्रावधान है, उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा.
अमित शाह ने कहा कि जीरो एफआईआर को भारतीय सुरक्षा संहिता विधेयक के तहत संहिताबद्ध किया जा रहा है. विधेयक के अनुसार, तलाशी और जब्ती के लिए वीडियोग्राफी अनिवार्य की जाएगी और 7 साल या उससे अधिक की सजा वाले सभी अपराधों के लिए फोरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य होंगे. भारतीय सुरक्षा संहिता विधेयक में कुल 313 संशोधन हैं जिनमें मॉब लिंचिंग के लिए मौत तक की सजा हो सकती है. हम राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त कर रहे हैं. हमने एक बहुत ऐतिहासिक फैसला किया है, वो है अनुपस्थिति में ट्रायल. कईं केसों में दाऊद इब्राहिम वांटेड है, वो देश छोड़कर भाग गया, लेकिन उसपर ट्रायल नहीं चल सकता. आज हमने तय किया है कि सेशन कोर्ट के जज उचित प्रक्रिया के बाद जिसको भगोड़ा घोषित करेंगे, उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगी और उसको सजा भी सुनाई जाएगी.