प्याज (onion) की कीमतें (price) फिर बढ़ने लगी हैं. हर साल इसी समय प्याज की कीमतों में तेजी आने लगती है. उसकी वजहें भी होती हैं. फिर ये कीमतें नवंबर में आसमान छूने लगती हैं. तब इसकी कीमतों को लेकर हाहाकार मचता है. देश में पिछले 10-12 दिनों में प्याज के दाम 10 रुपए प्रति किलोग्राम बढ़कर 35 रुपए किलो के आसपास हो चुके हैं. सरकार प्याज के दामों पर नियंत्रण के लिए इसके निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा दिया है. सवाल लाजिमी है कि आखिर हर साल इस सीजन में प्याज क्यों महंगा होने लगता है.
प्याज का मसला ऐसा है कि सरकारें तक चिंता में पड़ जाती हैं. हालांकि पिछले दो तीन महीने से टमाटर के दामों ने भी ऊंची छलांग लगाई और ये अपनी ऊंची कीमत के कारण आमलोगों के किचन से गायब हो गया. अब टमाटर के दाम गिरने लगे हैं लेकिन जब प्याज की कीमतें बढ़ती हैं तो ये राजनीतिक मुद्दा बन जाती हैं.
लिहाजा सरकार तक कोशिश में रहती है कि उनकी कीमतों को काबू में रखा जाए. इस बार मोटे तौर पर प्याज की कीमतों में बढोतरी का रिश्ता जुलाई में प्याज उत्पादन वाले राज्यों में हुई भारी बारिश और फसल खराब हो जाने से बताया जा रहा है.
वैसे आपको यहां ये भी बता दें कि देशभर में जिस तरह से प्याज पैदा होती है, उसमें इसकी फसल लगातार ही बाजार में उपलब्ध होती रहती है. सितंबर में अक्सर इसकी फसल पर सूखे या बारिश की मार का असर पिछले कुछ सालों से पड़ रहा है.
क्या कंट्रोल हो पाती हैं कीमतें
हर साल प्याज की कीमतें बढ़ने से रोकने के उपाय किए जाते हैं. प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया जाता है, प्याज के स्टॉक पर रोक लग जाती है, सरकारी एजेंसियां सस्ते दामों पर प्याज की बिक्री शुरू कर देती हैं. इस बार प्याज के निर्यात शुल्क को 40 फीसदी बढ़ा दिया गया है, जिससे इसके बड़े व्यापारी और किसान दोनों नाराज हैं. उन्होंने प्याज का कारोबार नहीं करने का फैसला किया है. इसका असर भी बाजार में पड़ेगा. प्याज आम जनता का रुलाता रहता है. इस बार भी कुछ ऐसा ही होता लग रहा है.
इस बार क्यों बढ़ रहे प्याज के दाम
कर्नाटक, आंध्र, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से इस समय खरीफ के प्याज की उपज बाजार में आती है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बारिश के चलते काफी फसल खराब हो गई है. भारी बारिश ने महाराष्ट्र में प्याज के पुराने स्टाक की क्वालिटी पर भी असर डाला. लिहाजा इनकी कीमतों में बढोतरी शुरू हो गई.
10 दिनों में ज्यादा हो गईं कीमतें
महाराष्ट्र के नासिक में लासलगांव में देश की सबसे प्याज की मंडी है. यहां पिछले 10 दिनों में प्याज के दामों में दोगुने से ज्यादा की बढोतरी हुई है. प्याज के अधिकतम थोक मूल्य रेट दिल्ली की मंडी में 2000 से 2750 के आसपास हो रहे हैं. देश की दूसरी मंडियों में इसका क्विटल रेट 2000 से ऊपर जा रहा है. जाहिर सी बात है कि इसका असर खुदरा बाजार पर भी पड़ेगा या पड़ रहा है.
क्यों निर्यात शुल्क बढ़ाया सरकार ने
प्याज के दामों में बढोतरी को देखते हुए और ऐसी स्थिति में इसके निर्यात को रोकने के लिए सरकार ने 19 अगस्त से इस पर 40 फीसदी की ड्यूटी लगा दी है. जिससे दामों पर कंट्रोल को किया जा सके और निर्यातकों के लिए इसे निर्यात करना ज्यादा फायदेमंद नहीं रह जाए. सरकार चाहती है कि प्याज घरेलू बाजार में ही रहे. उसके दाम 25 रुपए किलो के आसपास रहें.
अब नई फसल कब आएगी
प्याज की नई फसल अब नवंबर में बाजार में आएगी. ये महाराष्ट्र में पैदा होने वाले प्याज की होगी लेकिन इस पर भी बारिश का असर पड़ा है लेकिन इस फसल के आने से बाजार में प्याज की कीमतों में कमी आ सकती है.
सालभर में कितनी बार होती है प्याज
रबी और खरीफ दोनों में प्याज को बोया जाता है. महाराष्ट्र, गुजराज, कर्नाटक में ये फसल मई और नवंबर तक तैयार हो जाती है. इसके अलावा मध्य प्रदेश, आंध्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बंगाल में ये फसल इसके आगे-पीछे तैयार होती है.
कब-कब प्याज की कीमतों ने रुलाया
1980 में पहली बार प्याज की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखी गई. प्याज आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया था. 1998 में एक बार फिर प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी. दिल्ली में इसकी कीमतें राजनीतिक मुद्दा बन गई.
2010 में प्याज की कीमतें फिर बढ़ी. 3 साल बाद 2013 में प्याज कई जगहों पर 150 रुपए किलो तक बिका. 2015 में प्याज की कीमतों ने एक बार फिर लोगों को रुलाया. इसके अलावा तकरीबन हर साल सितंबर अक्टूबर में प्याज की कीमतें बढ़ जाती हैं.