देश में लगभग सभी बड़े रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प तेज़ी से किया जा रहा है जिसके तहत NWR के तमाम बड़े जंक्शनों को शामिल किया गया है. उत्तर पश्चिम रेलवे के विद्युतीकरण का कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है. एक तरफ रेल मंत्रालय उत्तर पश्चिम रेलवे के जयपुर जंक्शन, खातीपुरा रेलवे स्टेशन, गांधीनगर रेलवे स्टेशन, उदयपुर रेलवे स्टेशन, जैसलमेर रेलवे स्टेशन और बीकानेर रेलवे स्टेशन पर करोड़ों रुपये खर्च करके उनका कायाकल्प किया जा रहा है. दूसरी तरफ NWR के विद्युतीकरण का लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं कर पाया है.
रेल लाइन का इलेक्ट्रिफिकेशन बेहद धीमी गति से चल रहा है. ऐसे में बिना विद्युतीकरण के रेलों की रफ्तार 140 किलोमीटर तक बढ़ाना रेलवे के लिए एक चुनौती बन गया है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि करोड़ों रुपये की लागत से विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन तो बन जाएंगे लेकिन रेलों की गति कैसे बढ़ेगी? NWR ने जुलाई के महीने में 244 किलोमीटर ट्रैक को इलेक्ट्रीफाई किया है. रेलवे का कहना है कि विद्युतीकरण का कार्य लगातार तेज गति से किया जा रहा है.
1300 किलोमीटर का विद्युतीकरण अभी बाकी है
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य पीआरओ शशि किरण ने बताया- अब तक 4250 किलोमीटर रेल लाइन पर विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया है. NWR में वर्ष 2023-24 में कुल 283 किलोमीटर रेलमार्ग का विद्युतीकरण किया गया है, जिसमें से 244 किलोमीटर रेलमार्ग का विद्युतीकरण जुलाई माह में पूरा हुआ है. जुलाई में डीडवाना-डेगाना 63 किलोमीटर, श्रीगंगानगर-गजसिंहपुर 68 किलोमीटर, पीपाड़ रोड-मेड़ता रोड 56 किलोमीटर, समदडी-जालोर 57 किलोमीटर रेलमार्गों का विद्युतीकरण किया जा चुका है. अब भी NWR में लगभग 1300 किलोमीटर का विद्युतीकरण होना बाकी है और यह कब तक पूरा होगा इसकी कोई निश्चित तारीख नहीं है.
रेलों की स्पीड बढ़ने में लग सकता है समय
एक तरफ तेजी के साथ रेलवे स्टेशनों की सूरत बदली जा रही है वहीं दूसरी ओर बेहद धीमी गति से विद्युतीकरण का कार्य चल रहा है. अगर रेलवे स्टेशनों के विकास के साथ- साथ इलेक्ट्रीफिकेशन का कार्य भी तेज गति से किया जाए तो रेलों को नए स्टेशन के बीच तेजी से चालू किया जा सकता है. वर्ल्ड क्लास स्टेशन के साथ रेलों का संचालन तेज गति से होने के कारण यात्रियों को आने- जाने में अधिक सुविधा होगी.