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देश की आजादी के समय कितनी थी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत, कब आई सबसे बड़ी गिरावट, अब क्या है हाल?

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डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने की खबरें हम अक्सर सुनते रहते हैं. फिलहाल एक डॉलर के मुकाबले रुपये का वैल्यू 83.10 रुपये के करीब है. लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. देश की आजादी के समय डॉलर के मुकाबले काफी मजबूत स्थिति में था. आजादी के समय एक डॉलर की वैल्यू रुपये के मुकाबले 4.16 रुपये थी. लेकिन धीरे-धीरे कई तरह की अलग-अलग परिस्थितियों में इसकी वैल्यू कम होती गई.

आजादी से पहले यहां ब्रिटिश राज होने के कारण भारतीय करेंसी को पाउंड में मापा जाता था. लेकिन बाद में इसे डॉलर के साथ मापने की शुरुआत हुई. आइए जानते हैं कि डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू में गिरावट के क्या कारण है और इसमें सबसे बड़ी गिरावट कब आई.

डॉलर से ही क्यों होती है रुपये की तुलना?
अमेरिका को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश माना जाता है. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के कारण डॉलर को दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी माना जाता है. दुनिया के ज्यादातर देश डॉलर में ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करते हैं. वहीं, विदेशी निवेशक भी किसी देश में डॉलर में ही निवेश करते हैं. इसलिए डॉलर को एक बेंचमार्क करेंसी माना जाता है. डॉलर दुनिया की दूसरी करेंसी की वैल्यू भी तय करती है. यही कारण है कि रुपये की तुलना भी डॉलर के वैल्यू के साथ की जाती है.

रुपये की वैल्यू में कब-कब आई गिरावट?
1950 से लेकर 1966 तक एक डॉलर कै वैल्यू 4.76 रुपये बना रहा. लेकिन इसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट, विदेशों से लिए गए कर्ज, 1962 में भारत-चीन युद्ध, 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1966 के भीषण सूखे की वजह से 1967 में एक डॉलर की वैल्यू 7.50 रुपये के बराबर हो गई. 1974 में कच्चे तेल की सप्लाई के संकट के चलते एक डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू घटकर 8.10 रुपये हो गई. इसके बाद देश में राजनीतिक संकट, विदेशी कर्ज के चलते करेंसी में बड़ी गिरावट हुई. अगले एक दशक में रुपया लगातार गिरता रहा जो 1990 में 17.50 रुपये के लेवल पर आ गया.

1990 के बाद शुरू हुई सबसे बड़ी गिरावट
भारत ने 90 के दशक की शुरुआत में भारी आर्थिक संकट का सामना किया. उस समय देश पर विदेशी कर्ज का भारी बोझ था. आलम यह था कि देश उस समय डिफाल्टर घोषित होने की कगार पर जा पहुंचा था. 1991 में आर्थिक सुधार की प्रक्रिया की शुरुआत हुई. 1992 में एक डॉलर के मुकाबले रुपये का वैल्यू गिरकर 25.92 रुपये पर जा गिरा. 2004 में एक डॉलर की वैल्यू 45.32 रुपये थी. इसी तरह 2015 एक डॉलर का वैल्यू 63 रुपये था लेकिन उसके बाद भी लगातार रुपये में कमजोरी का सिलसिला जारी रहा. 2021 तक आते-आते एक डॉलर की वैल्यू 74.57 रुपये के बराबर हो गई

ये हैं अभी के हालात
अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने रूस-यूक्रेन विवाद के चलते मार्केट में आई सुस्ती और बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाना शुरू कर दिया. इसलिए विदेशी निवेशक अपना निवेश वापस निकालने लगे. जिससे डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने के साथ ही भारत का विदेशी मुद्रा कोष जो 640 अरब डॉलर से घटकर 530 अरब डॉलर तक आ गया. 2022 में एक साथ डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू में 10 फीसदी की गिरावट आ गई थी. मौजूदा हालात यह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू लगातार कम होती जा रही है जो अब 83.10 रुपये के लेवल पर पहुंच गई है.