भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से अधिक रहेगी. घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा का अनुमान है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ पहली तिमाही में 8.5 फीसदी रह सकती है. एसबीआई भी इस अवधि में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.3 फीसदी रहने की बात कह चुका है. भारतीय रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ की दर 8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. इस तरह इक्रा का अनुमान केंद्रीय बैंक के अनुमान से अधिक है. आरबीआई के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए GDP ग्रोथ 6.5 फीसदी रह सकती
इससे पिछली तिमाही यानी जनवरी-मार्च की तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.1 फीसदी रही थी. इक्रा ने कहा कि अनुकूल आधार प्रभाव और सेवा क्षेत्र में सुधार के चलते वृद्धि तेज रहने का अनुमान है. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में विपरीत परिस्थितियां देखने को मिल सकती हैं. नायर ने कहा कि अनियमित बारिश के बीच एक साल पहले की कीमतों के मुकाबले अंतर कम होने और सरकारी पूंजीगत व्यय की गति में कमी की आशंका बनी हुई है. उन्होंने कहा कि संसदीय चुनावों के करीब पहुंचने के साथ जीडीपी की ग्रोथ रेट सीमित रहेगी.
चालू वित्त वर्ष में 6 फीसदी वृद्धि का अनुमान
इक्रा ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि अऩुमान को 6 फीसदी पर बरकरार रखा है. यह आरबीआई के 6.5 फीसदी के अनुमान से कम है. नायर ने कहा कि पहली तिमाही में बेमौसम भारी बारिश, मौद्रिक सख्ती का असर कम होने और कमजोर बाहरी मांग के कारण जीडीपी वृद्धि पर दबाव पड़ा है. इक्रा ने तेज आर्थिक विकास के अपने अनुमान को लेकर कहा है कि यह ग्रोथ केंद्र और राज्यों के पूंजीगत व्यय की वजह से हुई है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2021 के दौरान ग्रोथ सिकुड़ गई थी, यह भी अब तेज ग्रोथ का एक कारण हो सकता है.
SBI ने भी अपनी रिपोर्ट में जीडीपी वृद्धि का जो अनुमान लगाया है वह आरबीआई के अनुमान से ज्यादा है. SBI के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष का कहना है कि वित्त वर्ष 2024 के लिए GDP वृद्धि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा दिए गए 6.5 फीसदी के पूर्वानुमान से अधिक होगी. वित्त वर्ष 2023-24 में वृद्धि 6.7 फीसदी रहेगी. घोष ने कहा कि 2023-24 की पहली तिमाही में केंद्र और राज्यों दोनों द्वारा पूंजीगत व्यय में भारी वृद्धि देखी गई है. पहली तिमाही (अप्रैल-जून अवधि) में, केंद्र का पूंजीगत व्यय 2.78 लाख करोड़ रुपये था.