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ट्रेन का वेटिंग टिकट कंफर्म होने के बाद भी कई बार नहीं दिया जाता सीट नंबर , वजह जानकर करेंगे तारीफ

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ट्रेन में अकसर सफर करने वालों के मन एक सवाल जरूर आता होगा, कई बार जब उनका वेटिंग टिकट कन्‍फर्म हो जाता है, पर सीट या बर्थ नंबर नहीं दिया जाता है. आखिर ऐसा क्‍यों होता है.  रेलवे ने टिकट कंफर्म सीट या बर्थ देने में क्‍या परेशानी है. अगर पहले से सीट या बर्थ नंबर मिल जाए तो, घर से सफर के लिए निकलने के साथ ही पहले से तैयार होकर निकलें, कि उसकी विंडो सीट है, मिडिल या अपर. इस संबंध में रेलवे ने इसकी खास वजह बताई, जानकर आप भी रेलवे की तारीफ करेंगे

अब आपको समझाते हैं कि रेलवे कंफर्म होने के बाद भी सीट या बर्थ क्‍यों नहीं देता है. उदाहरण के लिए किसी का वेटिंग एक है और एक कंफर्म टिकट कैंसिल होता है तो रेलवे के सिस्‍टम में आ जाता है कि पहला नंबर का वेटिंग टिकट अब कंफर्म हो जाएगा और रेलवे संबंधित यात्री को मैसेज भेजकर कंफर्म होने की सूचना भेज देता है.

रेलवे मंत्रालय के अनुसार ट्रेन छूटने से चार घंटे पहले ट्रेन का चार्ट तैयार हो जाता है. चार्ट बनने से पहले बहुत से यात्री टिकट कैंसिल कराते हैं. उनकी सीट खाली होती हैं. वहीं, हर कोच में इमरजेंसी कोटा तय होता है, जो रेलवे मंत्रालय की ओर से लगता है. कई बार इस कोटे के तहत तय रिजर्व सीटें या बर्थ भर नहीं पाती हैं, वो खाली रह जाती हैं.

चार्ट तैयार करने से पहले रेलवे का सिस्‍टम खाली सीटों या बर्थ को उन वेटिंग टिकट वाले यात्रियों की प्राथमिकता के अनुसार देता है, जिन्‍होंने रिजर्वेशन कराते समय सीट की प्राथमिकता बताई है. साथ ही, सिस्‍टम सीनियर सिटीजन या सामान्‍य महिला को भी प्राथमिकता के आधार पर नीचे की सीट आवंटित करता है, भले ही इन लोगों ने रिजर्वेशन कराते समय किसी तरह की प्राथमिकता न चुनी हो. इसके अलावा एक पीएनआर में छह लोगों का रिजर्वेशन हुआ हो, उनमें से तीन को कंफर्म और तीन को वेटिंग मिला है, इस तरह के मामले में सिस्‍टम वेटिंग वाले तीनों यात्रियों को कंफर्म के साथ या आसपास सीट अथवा बर्थ देने का प्रयास करता है. इस तमाम वजहों से वेटिंग कंफर्म होने के बाद भी यात्रियों को सीट या बर्थ नंबर नहीं दिया जाता है